सेंधवा; शिव सृष्टि के रचियता है तो काल के देवता भी शिव है

सेंधवा। शिव सृष्टि के रचियता है तो काल के देवता भी शिव है। जन्म से मरण तक शिव ही ह।ै शिव ही सर्वदा है। अतः शिव की प्राप्ति ही मोक्ष है। शिव को प्राप्त करना है तो लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है। शिव में लीन होना पड़ता है। शिव भक्त की भक्ति पर जल्द प्रसन्न होते है। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है।
उक्त कथन आचार्य आदित्य त्रिपाठी ने अग्रवाल महिला मंडल द्वारा सत्यनारायण मंदिर पर आयोजित शिव पुराण कथा कालोनी के तृतीय दिन व्यक्त किए ।
आचार्य आदित्य त्रिपाठी ने कहा कि शिवलिंग पर एक लोटा जल ॐ नमः शिवाय के मंत्राचार से जल अर्पण करना चाहिए। आपके सोचे कार्य में कोई रुकावट नहीं आवेगी। आचार्य आदित्य त्रिपाठी ने बताया भगवान शंकर को सत्य ही प्रिय है। इसलिए शवयात्रा में राम राम सत्य है, सत्य बोलो गत्य है, बोला जाता है । शवयात्रा में बड़ी संख्या में राम राम सत्य का उच्चारण होने से सत्य बलवान होता है। उस शव के लिए यह उच्चारण होता है क्योंकि शव को जलाने के बाद राम राम सत्य नहीं बोला जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर का जन्म कब हुआ? यह जानना आवश्यक है। शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर का जन्म हुआ है। क्योंकि शिव लिंग का पहला शिव लिंग शिवरात्रि के दिन प्रकट हुआ था। आज हम शिवरात्रि को शिव पार्वती के विवाह के रूप में उत्सव मनाते है। शिवरात्रि हर महीने में एक बार आती है। सांसारिक जीवन में किसी भी कार्य को करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना होता है। बिना लक्ष्य के कार्य अधूरा रह जाता है या उसमे कमी रहती है। उसी तरह भगवान को प्राप्त करना है तो उसका भी लक्ष्य निर्धारित कर उसमे लीन होना पड़ता है।

जीवन को सार्थक करने के लिए उपाय-
शिव पुराण में जीवन को सार्थक करने के लिए कई उपाय दिए गए है। समाज के अध्यक्ष श्याम सुन्दर तायल, कैलाश काका, लखन दादा, राधेश्याम अग्रवाल, गोपी किशन अग्रवाल, दिनेश मित्तल सौरभ तायल, महिला मंडल से अध्यक्ष ज्योत्सना अग्रवाल सचिव रानी मंगल परामर्शदाता मीना चोमूवाला, किरण तायल कोष अध्यक्ष उषा तायल और समस्त कार्यकारिणी सदस्य और बहु बेटी मंडल सदस्य मौजूद रहे ।