धर्म-ज्योतिष

धर्म की वास्तविकता नहीं समझने के कारण ही देश में बढ़ रहा आतंकवाद– मंदाकिनी

इंदौर, । धर्म का पालन करने से जो शक्ति प्राप्त होती है, उसका सदुपयोग होना चाहिए – दुरुपयोग नहीं। यदि उस शक्ति से अधर्म को बढ़ावा मिल रहा है तो वह शक्ति धर्म को भी नष्ट कर देती है। आज राष्ट्र में आतंकवाद के नाम पर करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं। मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। यह सब धर्म की वास्तविकता नहीं समझने के कारण ही हो रहा है। साधक के जीवन में जैसे-जैसे साधना बढ़ेगी, वैसे-वैसे श्रद्धा और विश्वास भी एकाकार होने लगेंगे। हम सबका, मानव मात्र का लक्ष्य एक ही है – मोक्ष की प्राप्ति। यह मोक्ष भीतर बैठे ईश्वर की प्राप्ति का ही नाम है। शिव और पार्वती तीनों काल में एकरस हैं। यही परम सत्य है। सत्य की खोज करना ज्ञानी की साधना का उद्देश्य होता है। अज्ञान की तुलना अंधकार से की गई है। ज्ञान के प्रकाश से ही यह अंधकार दूर हो सकेगा।

       प्रख्यात राम कथाकार मंदाकिनी श्रीराम किंकर ने आज संगम नगर स्थित श्रीराम मंदिर पर श्रीराम शिवशक्ति मंदिर शैक्षणिक एवं पारमार्थिक समिति के तत्वावधान में चल रही रामकथा में शिव महिमा की व्याख्या करते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, विष्णु बिंदल, राधेश्याम शर्मा, गोलू शुक्ला, महेश चायवाले आदि ने व्यसपीठ  किया।

दीदी मां ने कहा कि हमारी श्रद्धा सात्विक होना चाहिए। सात्विक शब्दार्थ के परिणाम भी अनुकूल होते हैं। हम अधिकांश लोग यह मानकर चलते हैं कि हम धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं, लेकिन वास्तव में बिना श्रद्धा के धर्म के मार्ग पर चलना संभव नहीं होता। सतीजी ने यह अभिमान लिया था कि मैं तो सती हूं, किसी और की कथा क्यों सुनूं ?  होना तो यह चाहिए था कि सती को अपने पति परमेश्वर का अनुशरण करते हुए उनके ईष्ट की कथा सुनना चाहिए थी। यदि वे ऐसा करती तो धर्म उनमें प्रतिष्ठित हो जाता। शास्त्रों में जो बातें कही गई हैं, वे आज भी प्रामाणिक और प्रासंगिक हैं।

       विद्वान वक्ता ने कहा कि आज राष्ट्र में धर्म के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह समझने की बात है। आतंकवाद के नाम पर करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं। मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, क्योंकि विधर्मी लोग पूजा को उचित नहीं मानते। यह सब  धर्म की वास्तविकता को नहीं समझने के कारण ही हो रहा है। जीवन मूल्यों में आज जो कमी या गिरावट आ रही है, उसे समझने के लिए हमें धर्म की वास्तविकता को जानना होगा।

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