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युवा किसान संगठन ने आक्रोश रैली निकाल सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन


इंदौर।
 युवा किसान संगठन ने जनहित व किसान हित में शनिवार को किसान आक्रोश रैली निकालते हुए इंदौर में नारेबाजी व प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम इंदौर कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष रविन्द्र चौधरी ने बताया कि हम सब लोगों ने पढ़ा व सुना है कि यह देश किसानों का देश है। हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने भी कहा था, इस देश की आत्मा गांवों में बसती है किसान में बसती है। लेकिन आज का यह वातावरण देखकर पूरे किसान समुदाय को निराशा हो रही है। सरकार व जनप्रतिनिधियों की तरफ किसान टकटकी लगाए देखते रहते हैं, पर उनकी तरफ से लोक लुभावने  वादों के अलावा और कुछ नहीं आता  है। इसलिए अब जिले का प्रदेश का व देश का किसान अपने हकों और अधिकारों की आवाज को लेकर एकजुट हो गया है, व सडक़ों पर लामबंद हो गया है। सरकारों को व सरकारों के प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे समय रहते इसको गंभीरता से लें व निम्नलिखित बातों पर तुरंत संज्ञान लेकर के काम करें। भू अर्जन अधिनियम 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक कार्य के लिए जब किसानों की जमीन एक्वायर की जाती है तो उन्हें गाइडलाइन का चार गुना मुआवजा देना बनता है, जबकि इंदौर से बिना होते हुए नागपुर हाईवे व इंदौर से बुधनी होते हुए जबलपुर रेलवे लाइन के लिए मध्य प्रदेश के किसानों की हजारों एकड़ जमीन प्रदेश सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई व उनको गाइडलाइन का दो गुना मुआवजा ही मिल पा रहा है, जबकि देश के अन्य कई राज्यों में भू अर्जन अधिनियम 2013 अनुसार शहरी क्षेत्र में दोगुना व ग्रामीण क्षेत्र में गाइडलाइन का चार गुना मुआवजा मिलता है जब प्रदेश सरकार कहती है कि हमारे यहां डबल इंजन की सरकार है तो फिर किसानों को नुकसान क्यों, जो मुआवजा प्रदेश सरकार दे रही है वह वर्तमान बाजार मूल्य का मात्र 10 से 15 प्रतिशत है। एक तरफ हमारी केंद्र सरकार कहती है वन नेशन वन टैक्स जीएसटी, वन नेशन वन इलेक्शन, तो फिर भूमि अधिग्रहण के लिए अलग-अलग कानून क्यों।
जिलाध्यक्ष चौधरी ने बताया कि युवा किसान संगठन की 5 सूत्रीय मांगे है कि केंद्र सरकार द्वारा 2013 में लाया गया भूमि अर्जन पुनर्वास और पुनर्विस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 को शब्द सह लागू किया जाए।
एमपीआईडीसी, आईडीए, एकेवीएन जैसे भूमाफियाओं पर अंकुश लगाए व सुनिश्चित करें कि किसानों की बगैर सहमति के उनकी जमीनों को अधिग्रहित न किया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी को कानून का दर्जा दिया जाए। (गेहूं रूपए 3000 प्रति क्विंटल सोयाबीन रूपए 8000 प्रति क्विंटल) किया जाए। प्याज के निर्यात पर अतिरिक्त लगाई गई 40 प्रतिशत की शुल्क राशि को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। बारिश न होने की वजह से पूरे क्षेत्र के किसानों की सोयाबीन की फसल खराब हो गई है जिसे तुरंत सर्वे करवाकर मुआवजा व फसल बीमा की राशि (40000 रूपए प्रति हेक्टेयर के मान से) दिलवाना सुनिश्चित करें।
अगले दो माह में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव है और अगर समय रहते मुख्यमंत्री जी किसान हित में निर्णय लेते हुए हमको केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का शब्द सह लाभ नहीं दिया तो इसके विपरीत परिणाम देखने को मिलेंगे। साथ ही साथ उपरोक्त दी गई पांचो बातों को समय रहते लागू किया जाए अन्यथा युवा किसान संगठन व क्षेत्र के किसान प्रदेश व्यापी  आंदोलन करेंगे व उससे होने वाले विघ्न की पूर्ण रूप से जिम्मेदारी  प्रदेश सरकार की होगी। किसान आक्रोश रैली में कमलापुर से मुख्तियार खान, इसरार भाई, अमरपुरा से तेजसिंह, कैलाश सेंधव कुलदीप, जोगेंद्र सेंधव, वीरेंद्र सिंह राजपूत, राधेश्याम वैष्णव, डकाच्या से शुभम, सुभाष पटेल, सुरेश धनोरा, विशाल पाटीदार, नितेश पाटीदार, दीपक पटेल, राहुल शिप्रा खेड़ा, अमित, विजय, पप्पू शेखर चौधरी, संजू पटेल, शेखर पटेल, जितेंद्र सुनवानी सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र के किसान शामिल हुए।

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