इंदौरधर्म-ज्योतिष

धार्मिक संप्रदाय को प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन

शासन द्वारा मंदिर और मंदिर संपत्ति/भूमि को सरकारी नियंत्रण में लेकर किया जा रहा है

इंदौर । मठ-मंदिर पुजारी संगठन धार्मिक संप्रदाय जैसे – शैव संप्रदाय वैष्णव संप्रदाय दशनामी संप्रदाय रामानंद संप्रदाय, निंबार्क संप्रदाय आदि से संबंधित पुजारियों का समूह है, उक्त पुजारियों को संविधान अनुच्छेद 26 के अंतर्गत मौलिक अधिकार प्राप्त है, धार्मिक संप्रदाय को प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन शासन द्वारा मंदिर और मंदिर संपत्ति/भूमि को सरकारी नियंत्रण में लेकर किया जा रहा है।

हिंदू मंदिर और मंदिरों की भूमि के कुप्रबंधन के खिलाफ दायर रिट याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा मध्यप्रदेश शासन धर्मस्व विभाग (उज्जैन), राजस्व विभाग, आयुक्त इंदौर, कलेक्टर इंदौर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

संगठन अध्यक्ष ऋषभ बैरागी द्वारा बताया गया कि वर्तमान में धर्मस्व विभाग कलेक्टर के माध्यम से मंदिर और मंदिर भूमियों का प्रबंधन करता है, लेकिन सरकारी नियंत्रण के बावजूद मंदिर और मंदिर भूमियों का कुप्रबंधन जारी है।

उदाहरण :- देपालपुर इंदौर ग्राम रुणजी गौतमपुरा में श्री राम मंदिर सर्वे नं. 1251,1309,1333, 1343 और श्री कृष्णेश्वर गोमतेश्वर मंदिर सर्वे नं. 454,457 और श्री जैन मंदिर सर्वे नं. 480 और श्री महादेव।

मंदिर (बारदाखेड़ी) सर्वे नं. 274 सभी मंदिरों के प्रबंधक कलेक्टर रहते हुए मंदिर भूमियों पर राजस्व अधिकारियों द्वारा वक्फ संपत्ति दर्ज कर दिया गया। ऐसा कुप्रबंधन का कृत्य हातोद इंदौर ग्राम अटावदा में श्री गौरादेवी मंदिर प्रबंधक कलेक्टर सर्वे नं. 549 की भूमि पर भी वक्फ संपत्ति दर्ज होना पाया गया।

राऊ इंदौर के ग्राम सोनवाय में श्री राम मंदिर प्रबंधक कलेक्टर द्वारा 2021 में श्री राम मंदिर स्वामित्व की कुल 2.5290 हे. भूमि में से सर्वे नं. 398/2 भूमि 0.1200 हे. राजस्व अधिकारियों द्वारा निजी व्यक्ति के नाम दर्ज कर दी गई। महू इंदौर ग्राम पांजरिया में श्री खेड़ापति मंदिर स्वामित्व की कुल 1.352 हे. भूमि में से प्रबंधक कलेक्टर राजस्व अधिकारियों द्वारा सर्वे नं. 107 भूमि 1.1560 हे.शासन द्वारा मंदिर का नाम हटाकर शासकीय मध्यप्रदेश शासन दर्ज किया गया।

पुजारी कपिलदास बैरागी द्वारा कहा गया कि मंदिर भूमि की नीलामी से प्राप्त राशि सरकारी खज़ाने में जमा करना, मंदिर को मिलने वाली मुआवजा राशि भी सरकारी खज़ाने में जमा होना पाया गया। ऐसी राशियों का हिसाब प्रदेश स्तर पर नहीं है। ऐसे अनेक अवैधानिक कार्य प्रदेश भर में सरकारीकरण की आड़ में हुए जिससे गंदिर व्यवस्था को हानि हुई है।

2008 में धर्मस्व विभाग द्वारा ही प्रदेश स्तर पर जिला कलेक्टर को निर्देश दिया गया था कि मंदिरों को 3 श्रेणी (i) सरकार द्वारा लगभग 50,000 मंदिर और 1 लाख हेक्टेयर मंदिर भूमि इंदौर उज्जैन देवास गुना ग्वालियर धार रतलाम नीमच मंदसौर खंडवा खरगोन झाबुआ शाजापुर राजगढ़ आगर मालवा आदि जिलों में प्रदेश स्तर पर मौजूद है।

अगर शासन अपनी मनमानी मंदिरों पर जारी रखता है तो हिंदू मंदिरों की सरकारीकरण से मुक्ति हेतु मठ मंदिर पुजारी संगठन प्रदेश स्तर पर “मंदिर मुक्तिक अभियान” शुरू करेगा

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