विविध

आर्थ्रोस्कोपी और स्पोर्ट्स इंज्यूरी के निदान और उपचार पर इंटरएक्टिव मास्टर क्लास 21 को

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के ऑर्थोपेडिक सर्जन्स के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे।

  • रविवार को होटल मैरियट में होने वाली इस एक दिवसीय कांफ्रेंस में देश भर के अनुभवी डॉक्टर्स करेंगे मार्गदर्शन
  • मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आन्ध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्यों के 100 से अधिक हड्डी रोग विशेषज्ञ भाग लेंगे 

इंदौर,। इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (IOA), इंदौर ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन और ऑर्थ्रोस्कोपी सर्जन ऑफ़ इंदौर मिलकर रविवार 21 मई 2023 को हड्डी रोग विशेषज्ञों के लिए एक दिवसीय इंटरएक्टिव मास्टरक्लास का आयोजन करने जा रहे हैं। इंदौर के होटल मैरियट में होने वाली यह मास्टरक्लास घुटने से जुडी बीमारियों, इसके इलाज के बारे में उभरते हुए हड्डी रोग विशेषज्ञों को सजग और जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है।

कांफ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी, ऑर्थोपेडिक सर्जन व स्पोर्ट्स इंज्यूरी विशेषज्ञ डॉ. तन्मय चौधरी ने बताया सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक चलने वाली इस मास्टर क्लास में 6 सेशन होंगे जिसमें देश भर से 20 से अधिक विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगे और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के ऑर्थोपेडिक सर्जन्स के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे।

ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. पंकज व्यास, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. विनय तंतुवाय, साइंटिफिक सेक्रेटरी डॉ. ब्रजेश दादरिया, साइंटिफिक चेयरमैन डॉ. शीतल गुप्ता और उनकी टीम ने इस तरह के आयोजनों की आवश्यकता के बारे में कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में टेक्नोलोजी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है अपने अनुभव और जानकारियां साझा करने से बीमारियों का निदान और इलाज आसान हुआ है।

स्पोर्ट्स इंज्यूरी और ऑर्थ्रोस्कोपी के बारे में डॉ. तन्मय चौधरी ने बताया कि खेलने, एक्सरसाइज़, मेहनत करने, फिसलने या चोट की वजह से लिगामेंट्स और कार्टिलेज को भी नुकसान पहुंचता है और एक्स – रे करने पर हड्डी में कोई समस्या नहीं दिखती पर मरीज को बहुत ज्यादा दर्द होता है। बीमारी कितनी अधिक है, ये जानने और इलाज करने के लिए पहले चीर – फाड़ कर बीमारी का इलाज किया जाता था परन्तु अब विशेषज्ञ ऑर्थ्रोस्कोपी करते हैं. आर्थोस्कोपी एक मिनिमल इनवेसिव सर्जरी है जिसमें हड्डियों के जोड़ के अंदर देखने और इलाज करने के लिए एक छोटे कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है।

ऑर्थ्रोस्कोपी आमतौर पर बेहोश करके की जाने वाली प्रक्रिया है। सर्जन जोड़ के पास की त्वचा में एक छोटा सा चीरा लगाता है और एक पतला, ट्यूब जैसा उपकरण डालता है जिसे ऑर्थ्रोस्कोप कहा जाता है। ऑर्थ्रोस्कोप में एक कैमरा और एक लाइट सोर्स होता है, जो सर्जन को जोड़ के अंदर देखने में मदद करता है। अब जब सर्जन नुकसान का आकलन कर लेते हैं और जरूरत महसूस करते हैं कि इसी रास्ते बीमारी को ठीक भी किया जा सकता है, तो कुछ और उपकरण डालकर टूटे हुए कार्टिलेज या लिगामेंट्स को जोड़ते या जोड़ की सफाई करते हैं।

आर्थ्रोस्कोपी एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है जो मरीजों को अपने सामान्य जीवन में जल्दी और कम से कम दर्द के साथ लौटने में मदद कर सकती है। ऑर्थ्रोस्कोपी में छोटा चीरा लगने से से जहां एक ओर त्वचा पर छोटा सा निशान होता है वहीं दूसरी ओर इन्फेक्शन की संभावनाएं कम हो जाती हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!