
तुमने दर्द दिया
प्राण प्रिय तुमने दर्द दिया
आस जगाकर मन में मेरे
उसका कत्ल किया प्राण प्रिय….जन्म जन्म की घोर तपस्या, इसी जन्म में पूरी
किन्तु तुम्हारे हठ ने अब तक, बना रखी है दूरी
कई बार मिलने का वादा करके, मना किया
प्राण प्रिय तुमने दर्द दियाबीते जन्म अनेकों लेकिन, अब तक याद रहा
बिन देखे बिन सोचे समझे, मिलने हेतु
कहा हमने झूठे वादों को ही, अमृत मान पिया
प्राण प्रिय तुमने दर्द दियाजन्म जन्म के साथी हैं हम हर पल याद करें
भाग्यवान से मिलना होगा, नित फरियाद करें
दीर्घ प्रतीक्षा के दिन हैं ये, ऐसा मान लिया
प्राण प्रिय तुमने दर्द दियाकवि:- कुंवर अनंत प्रताप सिंह परिहार अनंत ‘