
डॉ अमित सोलंकी ने स्क्रीन एडिक्शन विषय पर परिचर्चा की
इंदौर। स्क्रीन एडिक्शन विषय पर कार्यशाला क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा विद्यासागर स्कूल में आयोजित हुई जिसमे आई स्पेशलिस्ट डॉ अमित सोलंकी ने चर्चा की ।
आई स्पेशलिट एवं शांति आईटेक के निदेशक डॉ अमित सोलंकी में बताया आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी मोबाइल की लत का शिकार हो रहे हैं । घंटों तक मोबाइल या स्क्रीन के इस्तेमाल से बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है । कम उम्र में एक्सेस स्क्रीन टाइम से बच्चे कई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं । बच्चों के आसपास जितने गैजेट होंगे, उनके ऑटिज्म, बोलने में देरी व सामाजिक कौशल में कमी का उतना ही खतरा होगा ।
हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार जिन बच्चों को स्क्रीन एडिक्शन है , उन बच्चों में आंखो में अलावा अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी काफी हो रही है । साइकोलॉजिकल, मेंटल प्रॉब्लम एवं अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर काफी देखने को मिल रहा है एवं एक्सेस स्क्रीन से स्क्विंट आई की भी समस्या देखने को मिल रही है ।
अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर में बच्चे कोई भी एक गतिविधि में ज्यादा समय तक अटेंशन एवं ध्यान नहीं दे पा रहे और छोटी छोटी बातों में चिड़चिड़ापन या किसी भी गतिविधि में एकाग्रता भी रख पाने जैसी समस्या भी स्क्रीन एडिक्शन के कारण सामने आ रही है जिसकी वजह से एंजायटी , ओबेसिटी , मूड स्विंग, डिप्रेशन तक की समस्या भी काफी बढ़ रही है ।
हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक 65% फैमिली खाना खिलाते समय बच्चे को टीवी-मोबाइल दिखाते हैं। भारत में 39 से 44 परसेंट लोगो को स्मार्टफोन का एडिक्शन है ।
स्क्रीन टाइम बढ़ने से फिजिकल एक्टिविटी कम होती हैं, ओवरईटिंग की आदत बनती है और फिर ये ओबेसिटी तक खतरा पैदा करता है । ज़्यादा देर तक मोबाइल देखने से बच्चों की आँखें कमजोर होने लगती है, जिस वजह से उनके आँखों से पानी आना, जलन होना और कम उम्र में ही चश्मा लग जाते है । ज़्यादा देर मोबाइल चलाने से बच्चों को सर्वाइकल पेन की समस्या भी हो सकती है। मोबाइल की लत से बच्चों को सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
कुछ टिप्स –
*स्कूल जाने वाले बच्चो के लिए एक घंटा स्क्रीन टाइम काफी है और छुट्टी के दिन अधिकतम दो घंटे ।
*तीन साल तक के बच्चो को जीरो स्क्रीन टाइम ।
*बच्चो का स्क्रीन टाइम ट्रैक करें ।
*रेगुलर आई चेकअप कराएं ।
*जब भी बच्चे से बात करें , अपने हाथ में फोन न रखें एवं उन्हें ध्यान से सुने और पॉजिटिव रिएक्ट करें।
*नोटिफिकेशन बंद करें , सिर्फ अत्यावश्यक ही ऑन रहन दें ।
*दिन भर में से कम से कम एक घंटा स्क्रीन फ्री रहें एवं परिवार से बातें करें।
*फ्री टाइम में स्क्रीन को छोड़ कर कुछ पसंदीदा एक्टिविटी करें , हॉबी को समय दें ।
*सोने के एक घंटे पहले स्क्रीन बंद करें।
*आउटडोर एक्टिविटीज पर ध्यान दें ।
*हाइड्रेटेड रहे एवं नियमित सम्पूर्ण आहार लें ।