जीवन के अंतिम क्षणों तक सदकर्म करें

इंदौर, । इस सृष्टि में जो कुछ है वह रूद्र का ही स्वरूप है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें इतने सुदृढ़ संस्कार दिए हैं कि आज भी हमारी सनातन संस्कृति वैसी की वैसी है। हमारा देश आज भी अध्यात्म के रंग में रंगा हुआ है। हमारे शास्त्रों का संदेश और भाव यही है कि हम जीवन के अंतिम क्षणों तक सदकर्म करते रहे। हमारे वेद और उपनिषद भी सबके मंगल का ही भाव रखते हैं। शिव का पहला अर्थ है कल्याण। धर्म और कल्याण एक दूसरे के पूरक हैं।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के जो उन्होंने को गीता भवन के सत्संग सभागृह में शिव पुराण कथा के शुभारंभ सत्र में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व गीता भवन परिसर में शिव पुराण की शोभायात्रा भी निकाली गई। व्यासपीठ का पूजन समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, श्याम अग्रवाल मोमबत्ती आदि ने किया।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कहा कि शिव भारतीय समाज के प्रथम देव और महादेव माने जाते हैं। शिव का नाम ही कल्याण का सूचक है। शिव इतने सहज और सरल देव हैं, जो केवल जलाभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सृष्टि में जो कुछ भी होता है, वह शिव की लीला का ही प्रतिफल होता है। हमारे सभी वेद और उपनिषद बिना किसी भेदभाव के प्राणी मात्र के मंगल भाव रखते हैं। शिवपुराण की कथा श्रवण के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। सच्चे मन से शिव की पूजा की जाए तो सभी शुभ संकल्प साकार हो जाते हैं।