महिला सशक्तीकरण में युवाओं की भूमिका विषय पर कार्यशाला में बोले श्री गुप्ता-

बड़वानी 07 दिसम्बर 2022/हम जाने-अनजाने में महिलाओं में असुरक्षा की भावना भर देते हैं। अपने व्यवहार परिवर्तन के द्वारा महिलाओं के मन में विश्वास जाग्रत करना चाहिए। महिलाओं को सम्मान और अधिकार देने की शुरुआत अपने घर से ही करें। ये बातें महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बड़वानी के सहायक संचालक श्री अजय कुमार गुप्ता ने ‘महिला सशक्तीकरण में युवाओं की भूमिका’ विषय पर शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए कहीं। कार्यशाला का आयोजन स्वामी विवेकानंद कॅरियर सेल के युवा कार्यकर्ताओं द्वारा महिला तथा बाल विकास विभाग एवं ममता- हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के सहयोग से किया गया था। अध्यक्षता अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एनएल गुप्ता द्वारा की गई। विशेषज्ञ वक्ता, ममता- हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के जिला समन्वयक श्री शैलेश बैरागी ने कहा कि जेंडर भेदभाव हमारे समाज के द्वारा उत्पन्न किया गया है। इस भेदभाव को दूर करके महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिये जाएं। उन्होंने कॅरियर सेल के दस कार्यकर्ताओं को जेंडर चैम्पियन बनाते हुए कहा कि आपको समाज में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने की है। समाज में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए आपको प्रेरित करना है। उन्होंने पावर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से जेंडर की कंसेप्ट को स्पष्ट किया। कार्यशाला का समन्वय करने एवं इसे सूत्रबद्ध ढंग से सम्पन्न करने की जिम्मेदारी पंख अभियान की एम्बेसेडर प्रीति गुलवानिया ने निभाई। तकनीकी सहयोग श्री माजिद शेख ने किया।
इन्हें बनाया गया जेंडर चैम्पियन
कॅरियर सेल के कार्यकर्तागण आवेश खान, राहुल भंडोले, कन्हैयालाल फूलमाली, राहुल सेन, राहुल वर्मा, सुरेश कनेश, प्रदीप ओहरिया, सुनील मेहरा, नमन मालवीया एवं दिलीप रावत को जेंडर चैम्पियन मनोनीत किया गया और उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया।
युवाओं ने भी व्यक्त किये विचार
कार्यशाला में सहभागी युवाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये। समन्वयक प्रीति गुलवानिया ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में भी हम जेंडर भेद की विसंगति देखते हैं, जो हमारी अब तक की प्रगति पर प्रश्नचिह्न लगाती है। निकिता प्रजापत, वर्षा मालवीया, श्रीकांता भटोदरा, भूमिका यादव, तुषार गोले, राजेश जाधव, मोनिका बामनिया एवं राहुल सेन आदि ने इस बात को स्वीकार किया कि समाज में अभी भी जेंडर विभेद दिखाई देता है। इसे बदलने के लिए हमें अपनी मानसिकता में बदलाव करना होगा।
लघु फिल्मों के माध्यम से किया जागरूक
दिव्या दत्ता और आयुष्मान खुराना की दो शॉर्ट फिल्में भी कार्यशाला में प्रदर्शित की गईं। जिनकी हृदय स्पर्शी विषय वस्तु ने युवाओं के मन-मस्तिष्क पर प्रभाव छोड़ा। कार्यशाला में सौ से अधिक युवा विद्यार्थी सम्मिलित हुए। सहयोग सोहेल खान, प्रो. नारायण रैकवार, स्वाति यादव, पूनम कुशवाह, तनिशा राठौड़, योगिता राठौड़, खुशी अग्रवाल, वर्षा मेहरा, जिग्नेश ठकराव एवं डॉ. मधुसूदन चौबे ने दिया।