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बाल विवाह करवाने पर पंडित और मौलवी के साथ बैंड वाले और कैटर्स पर भी कार्यवाही होगी

बड़वानी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजपुर के सभागार में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकथाम हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन कलेक्टर सुश्री गुंचा सनोबर के निर्देशानुसार आयोजित किया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में ममता यूनिसेफ के जिला समन्वयक शैलेश बैरागी ने अपने वक्तव्य में कहा कि कम आयु में विवाह से बालक एवं बालिका का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता है तथा वे अधिकांशतः शिक्षा से भी वंचित होते हैं। बाल विवाह निषेध हेतु समाज में जागरूकता लाना हम सभी का कर्तव्य है। बाल विवाह रोकथाम के लिए सतत संवाद करना जरूरी है और हितग्राहियों को बताया जाए कि बाल विवाह होने की स्थिति में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना तथा लाडली लक्ष्मी योजना के लाभ से वंचित हो जाते हैं। इस अवसर पर राजपुर के सी बी एम ओ डॉ देवेन्द्र रोमडे ने बताया कि बाल विवाह का समाज एवं बालको पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होती है साथ ही जनसंख्या वृद्धि भी दिखाई देती है। पर्यवेक्षक स्वामी ने बताया कि बाल विवाह को रोकने के लिए देश में कड़े कानून हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी को बाल विवाह माना जाता है। इस अधिनियम के तहत बाल विवाह को दंडनीय अपराध माना गया है। साथ ही बताया कि बाल विवाह करने वाले या कराने वाले को दो साल की जेल या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। श्री बैरागी ने बाल विवाह से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि शिकायत मिलने पर पंडित और मौलवी के साथ साथ विवाह में सेवा देने वाले टेंट, कैटरिंग, बैंड कार्ड छापने वाले प्रिंटर सहित विवाह में सम्मिलित सभा लोगों पर कार्यवाही की जा सकती है। बाल विवाह रोकने के लिए शासन द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी बनाए गए हैं संबंधित विकासखंड के जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, तहसीलदार तथा महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी बनाया गया है। आप चाइल्ड लाइन नंबर 1098 , 100 डायल पर कॉल कर बाल विवाह की शिकायत कर सकते हैं। कार्यशाला में विभाग के पर्यंवेक्षको सुश्री कृष्णॉ स्वामी सुश्री नीता जैन ऊष्मा सोलंकी, पुष्पा सोहनी, माथिल्दा बन्दोंड, शर्मीला सोलंकी, राधा सोलंकी, राधा यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।

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