खाओं पियो छकों मत, बोलों चालों बको मत-सीजी खले
-सेंधवा काव्य मंच के तत्वावधान में साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन

सेंधवा। सेंधवा काव्य मंच के तत्वावधान में साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन निवाली रोड स्थित सेंधवा पब्लिक स्कूल में किया गया। अनिल कानूनगो द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर तथा विशाल त्रिवेदी द्वारा मां सरस्वती की वंदना गाकर गोष्ठी का आरंभ किया। यह काव्य गोष्ठी राष्ट्रीय कवि सादिक अली जकीर के सेंधवा आगमन पर उन्हें सुनने के लिए आयोजित की गई थी। उन्होंने अपनी राष्ट्रीय मंच से पढ़ी कई रचनाएं
आवारा बंजारा हूं मैं, गलियों-गलियों भटक रहा हूं मैं, तकदीर का मारा हूं। मैं कैसे गीत लिखूं, मैं कैसे गीत लिखूं। सावन सूखा, भादो सुखा, सुखी है हरियाली, बाग-बाग को आग लगाने वाले बाग का खुद है माली। मैं कैसे गीत लिखूं मैं कैसे गीत लिखूं….। काव्य गोष्ठी के प्रेरणा स्त्रोत डॉ सीजी खले ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर 16 शब्दों में जीवन का सार सुनाया कि खाओं पियो छकों मत, बोलों चालों बको मत, देखों भालों तपों मत, चलों फिरो थको मत।
चेतन गोयल ने अपनी रचना सुनाई कि लिखनी होती है कविता तब तब इस संसार में। सम्मानित शिक्षक विजय पाटिल ने अपनी रचना पढ़ी हमारी पृथ्वी शब्द पर टिकी हुई है और इस शब्द का वाहक हैं आकाश इसी पर अपनी रचना सुनाई। डॉ सन्नी सोनी ने अपनी रचना पढ़ी की
यहां कौन अपने गिरेबान में झांकता है, खुद को कहां कोई किसी से कम आंकता है। निलेश मंगल ने पूर्व प्रोफेसर डॉ चंद्रगोपाल खले के व्यक्तित्व के गुणगान करती अपनी रचना पढ़ी। श्री राजेन्द्र सोनवणे ने रचना पढ़ी कि नफरत की यह कैसी आंधियां चली है, भय से शहर, गांव सुनी हर गली है।
सैनिक की चिठ्ठी है, हर भारतीय के नाम-
डॉ महेश बाविस्कर ने सेना में सैनिकों के जज्बात कों लेकर रचना पढ़ी कि एक सैनिक की चिठ्ठी है, हर भारतीय के नाम। काव्य गोष्ठी के संयोजक पवन शर्मा हमदर्द ने अपनी रचना पढ़ी कि जो रिश्ता रखना चाहते हैं समुन्नत से उन लोगों का प्यार बढ़ा होता है जन्नत से। हमारे देश में बेटियां जन्म लेती है नसीब से और लड़कें पैदा होते है टोने-टोटके और मन्नत से। शिक्षक गिरिश त्रिवेदी ने अपने समय की मांग तरबुज पर अपनी रचना सुनाई। विशाल त्रिवेदी आदिल ने अपनी रचना पढ़ी कि रुप रंग जाति जन्म का न कोई बंधन है, कविताएं ही मेरा जीवन है। दीपक भार्गव ने अपना गीत सुनाया। संचालन शिक्षक मनोज मराठे ने किया।