
छत्रपति शिवाजी महाराज आज भी प्रासंगिक है
*उनके कार्यों का उल्लेख कर आज भी समाज ओर खास कर युवाओ को तैयार करना चाहिए*
इंदौर । छत्रपति शिवाजी राम एवं कृष्ण का मिला जुला स्वरूप थे, उनमे राम की मर्यादा एवं कृष्ण की कूट नीति दोनों ही समाहित थी, शिवाजी महराज अपने जन्म से नही अपितु कर्म से राजा बने । युवा पीढ़ी को अगर सही मार्गदर्शन देने है तो उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों से इस प्रकार सींचना चाहिए ताकि उनमे शिवाजी महाराज के समान उच्च विचार उतपन्न हो तथा युवा पीढ़ी को आत्म चिंतन करने का अवसर मिले। वे एक महान युगपुरूष थे हम उनके जीवन से दिशा निर्देश प्राप्त करते हैं।
उक्त विचार छत्रपति शिवाजी प्रतिष्ठान एवं मप्र. क्षत्रिय मराठा मण्डल द्वारा इंदौर में छत्रपति शिवाजी महाराज की 395 जयंती के अवसर पर छत्रपति शिवाजी प्रतिमा स्थल पर आयोजित दो दिवसीय सार्वजनिक छत्रपति शिवाजी जयंती समारोह का शुभारम्भ करते हुए प्रसिद्ध वक्ता एवं अभ्यास मण्डल की सचिव डॉ. श्रीमती माला सिंह ठाकुर ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये । अपने सारगर्भित जोशिले उद्बोधन में उन्होंने कहा कि अगर
माता जीजा के आत्म विश्वास एवं आदर्शो ने शिवाजी महाराज को एक महान पुरूष बनाया । आज समाज में हर महिला को माता जीजा के आदर्शों की आत्मसात कर आने वाली पीढ़ी को देश व समाज के सेवा के लिए प्रेरित करना होगा। क्योंकि बच्चों को अच्छे संस्कार उनकी माता ही दे सकती है।जीजा माता की अच्छी शिक्षा एवं संस्कारो व प्रेरणा से ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक स्वतंत्र राष्ट्र की कल्पना को साकार किया।
सुरेश गुर्जर (प्रभारी शिव सेना मप्र.), सुरेश टाकलकर (पार्षद)एवं अनुराग सोनार (युवा शिव सेना राज्य प्रमुख मप्र.) विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित थे।इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेत्री श्रीमती उज्ज्वला बारगल भी उपस्थित रहे ।
विशेष अतिथि सुरेश गुर्जर ने शिवाजी महाराज के साहस एवम कौशल की विभिन्न घटनाओं का सुंदर वर्णन करते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही ओर कहा कि शिवाजी महाराज के जीवन की हर घटना हमे कुछ न कुछ सीख दी जाती उनका दृढ़ निश्चय हमे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ।
अनुराग सोनार* ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में ओर कम साधनों में काम कर अपने लक्ष्यों में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा हमे छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से मितली है । शिवाजी महाराज गोरिल्ला युद्ध नीति के जनक थे उनकी सेना बहुत संगठीत थी ,अपने सैनिकों का समान एवम उनकी एक जुटता के कारण ही वे एक हिन्दू राष्ट्र का निर्माण कर पाए । शिवाजी महाराज सम्पूर्ण जीवन ही हमारे लिए प्रेरणादायीं है।
सुरेश टाकलकर* ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने निराशा के वातावरण में आशा की किरण दिखाई एवं एक शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण किया। शिवाजी महाराज से खून का रिश्ता होने से हमे गर्व होना स्वभाविक है ,लेकिन इसके साथ ही हम पर एक बड़ी जिम्मेदारी भी आ जाती है कि हम अपने समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य भार भी निभाये इसके लिए हमे उनके आदर्शों को अपनाना होगा। सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह एवं अन्य देश भक्तो ने भी शिवाजी को अपना प्रेरणा स्त्रोत माना है। ऐसा महान व्यक्तित्व जिसने किलो के साथ दिलो को भी जीता ऐसे महान योद्धा को मेरा कोटि कोटि नमन ।
कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने शिवाजी महाराज की अश्वारूढ़ प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा दिप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया।
अतिथियों का स्वागत मनोहर पवार, बबन कदम,अशोक गायकवाड़,विनोद नागरे, रविंद्र गट, अमित अमनापुरकर, ललित ठोम्बरे, प्रभाकर चोखण्डे, रवि रघुवंशी, रवि सोमवंशी,विजय पुणेकर ,राजेश निकम,विकास चव्हाण , किशोर खानविलकर ,लोकेश सरोशे, सहित म.प्र. क्षत्रिय मराठा मंडल, छत्रपति शिवाजी प्रतिष्ठान, क्षत्रिय मराठा समाज, छत्रपति शिवाजी सहकारी शाख संस्था,मातोश्री जिजामाता महिला मंडल आदि के पदाधिकारियो ने अतिथियों का स्वागत किया।
स्वापगत भाषण अध्यक्ष मनोहर पवार ने ,संचालन श्री हरिशंकर रायकवार ने, संस्था की जानकारी बबन कदम ने तथा आभार प्रदर्शन डॉ .श्रीमती आशा गायकवाड़ ने किया ।