प्रशासन के जन संवाद को गंभीरता से नहीं ले रहे ग्रामीण, मुट्ठीभर लोगों के बीच हो रही खानापूर्ति
पीथमपुर बचाओ समिति का बड़ा सवाल – प्रशासन वोटिंग कराए, जनता तय करेगी कचरे का भविष्य!
धार-पीथमपुर।
भोपाल यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने के विरोध में जनता का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासन की जन संवाद बैठकों को ग्रामीण गंभीरता से नहीं ले रहे। हालात यह हैं कि कलेक्टर और एसपी गिने-चुने लोगों के बीच संवाद कर खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि जिन्हें असल में सुनना चाहिए, वे इन बैठकों से नदारद हैं।
खाली कुर्सियां और दिखावटी बैठकें!
प्रशासन द्वारा जन संवाद के नाम पर छोटे-छोटे समूहों में बैठकें की जा रही हैं, जिनमें ज्यादातर वे लोग शामिल किए जा रहे हैं, जो पहले से ही प्रशासन के पक्ष में हैं। गांवों के आम लोग, जिन पर इस कचरे का सीधा असर पड़ेगा, वे इन बैठकों में रुचि नहीं दिखा रहे। नतीजा यह हो रहा है कि बैठकों में खाली कुर्सियां ज्यादा और आम जनता कम नजर आ रही है।
संगठनों का आरोप – झूठे आश्वासनों का खेल
पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष डाक्टर हेमंत हीरोले का आरोप है कि प्रशासन केवल दिखावे के लिए जन संवाद कर रहा है। कचरे को लेकर पहले भी कई बार सरकारों ने जनता को गुमराह किया, लेकिन हर बार सच्चाई छिपाई गई। इस बार भी प्रशासन सिर्फ अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि असल में जनता को इसकी कोई जानकारी नहीं दी जा रही।
कलेक्टर और एसपी का संवाद सवालों के घेरे में
कलेक्टर और एसपी की बैठकों में जो लोग बुलाए जा रहे हैं, वे या तो सरकारी योजनाओं से जुड़े लोग हैं या फिर ऐसे लोग, जिन्हें असल मुद्दे की गहराई से जानकारी नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रशासन आम जनता से खुलकर संवाद क्यों नहीं कर रहा?
आंदोलनकारियों की दो टूक – “ये सिर्फ एक ड्रामा है!”
मशाल यात्राओं और विरोध प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे आंदोलनकारियों ने प्रशासन की बैठकों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संदीप रघुवंशी का कहना है कि अगर प्रशासन को जनता की राय जाननी है, तो खुले मंच पर संवाद करे, न कि चुनिंदा लोगों के बीच दिखावटी चर्चा।
प्रशासन की रणनीति फेल, जनता का भरोसा टूटा
जहरीले कचरे के मुद्दे पर प्रशासन और जनता के बीच की दूरी लगातार बढ़ रही है। जन संवाद के नाम पर होने वाली यह खानापूर्ति जनता के गुस्से को और भड़का सकती है। ग्रामीणों और आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक प्रशासन पारदर्शी तरीके से खुला संवाद नहीं करेगा, तब तक ऐसे दिखावटी कार्यक्रमों का कोई महत्व नहीं है।
प्रशासन वोटिंग कराकर देख ले:
भोपाल यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने को लेकर जनता का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। पीथमपुर बचाओ समिति ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता आयोजित कर जनसंवाद पर कड़े सवाल उठाए है। समिति ने चुनौती देते हुए कहा कि प्रशासन वोटिंग कराकर देख ले कि जनता किसके पक्ष में है और उसी के आधार पर फैसला किया जाए। समिति के सदस्यों ने साफ कहा कि किसी भी हालत में पीथमपुर में यह कचरा नहीं जलने दिया जाएगा। समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया कि प्रशासन जनसंवाद के नाम पर जनता को गुमराह कर रहा है। यह संवाद सिर्फ खानापूर्ति है, जिसमें आम जनता की राय को शामिल नहीं किया जा रहा। अगर प्रशासन को जनता की सच्ची राय चाहिए, तो उसे ओपन वोटिंग करानी चाहिए। इससे साफ हो जाएगा कि असली जनमत क्या है और जनता क्या चाहती है।