थोड़ा तो नाज करो देशवासियों संसार में सबसे बढ़ा गणतंत्र है हमारा
सेंधवा काव्यमंच के तत्वावधान में एक साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
सेंधवा। निवाली रोड स्थित सेंधवा पब्लिक स्कूल में शनिवार को सेंधवा काव्यमंच के तत्वावधान में एक साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। दिपक भार्गव एवं राजेन्द्र सोनवणे द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा को के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया। इस अवसर आयोजित काव्य गोष्ठी में नगर के प्रतिष्ठित रचनाकारों ने अपनी रचना प्रस्तुत कि। डॉ. महेश बाविस्कर ने अपनी रचना सुनाई कि मौसम वह भी एक अजीब था। वह मौसम उनके लिए भी बसंती था, गुलामी जब हिंदुस्तानियों का नसीब था। जहां रहकर भी हंसते हुए वह कहते थे, देश के लिए काम आया खुशनसीब था। पवन शर्मा हमदर्द ने गणतंत्र के महत्व को प्रतिपादित करती रचना राष्ट्र है संपूर्ण रुप से स्वतंत्र है हमारा, वसुदेव कुटुम्बकम का मंत्र है हमारा और थोड़ा तो नाज करो देशवासियों संसार में सबसे बढ़ा गणतंत्र है हमारा। पिता पुत्र को लेकर एक रचना कितना अच्छा लगता है गुजरे वक्त के हाथ में आने वाला कल कितना अच्छा लगता है, पिढ़ी का यह संगम कि दरख़्त पर नया कोपल राजेन्द्र सोनवणे ने अपनी रचना मेरी तस्वीर को उसने क्या पसंद किया। मैं अपनी तस्वीर को दिन में 10 बार देखने लगा। क्या बसंत है यार कि मैं बार-बार में पेश होने लगा।
डॉ सन्नी सोनी ने महाकुंभ पर अपनी रचना कहते हुए कहा महाकुंभ में तन-मन नहाए, सनातन की धारा को अपनाए, योग, वेद, तप और ध्यान भारत की यह पहचान। मोहित गोयल ने अब उस गली में जाना अच्छा नहीं लगता रचना सुनाई। निजाब बाबा ने हिंदुस्तान की सरजमीं पर एक ऐसा निशान हैं, जहां हिंदू मुस्लिम भाई समान है, इसलिए तो मेरा देश महान है रचना सुनाई। हाफिज अहमद हाफिज ने रचना सुनाई कि मेरे अपने ही मेरे दिल को दुखाने निकले, याद तुम आए तो जख्म पुराने निकले। उम्र छोटी थी, मगर बोझ था सर पर ज्यादा, हाथ छोटे ये मगर फिर भी कमाने निकले।
दिपक भार्गव ने सुनाया कि एक ही गीत है, जिसमें शब्द लगभग वही है। जिसमें एक हेप्पी सांग एक तु जो मिला सारी दुनिया मिली और दुसरा शेड सांग एक तु न मिला सारी दुनिया मिले तो क्या कम है। अपने चिर-परिचित अंदाज में संचालन करते हुए विशाल त्रिवेदी आदिल ने कुण्डलिया छंद में रचना सुनाई कि मानव कि पहचान है सार्थक शब्द प्रयोग, प्राणी भी यह कर रहे भावों का उपयोग। इसके अतिरिक्त रचना क्यों मोहब्बत में फर्क करते हो यहां कोई मसला नहीं है। डॉ केआर शर्मा एवं डॉ जीसी खले ने आजादी के पहले का सफर अपनी बातों द्वारा करवाया वह अद्भुत एवं अद्वितीय था। डॉ विकास पंडित ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में हर रचनाकार के पाठ के बाद प्रो. सीजी खले ने अपने अंदाज में समीक्षा की जो न सिर्फ साहित्य के घोंसले का निर्माण करने में अपनी भूमिका निभा रहा है, अपितु अपने कौशल को संवारने का मंच भी प्रदान कर रहा है। उक्त काव्य गोष्ठी में राजेश शर्मा सहित अन्य उपस्थित थे।