बदनावर-उज्जैन फोरलेन निर्माण पूरा होने से आवागमन हुआ सुगम 45 से 50 मिनट में पूरी हो रही 69 किमी दूरी, अब बदनावर से गुजरात तक फोरलेन की उठी मांग।
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत करीब 1352 करोड़ की लागत से फोरलेन बनाया है
आशीष यादव धार
गुजरात व राजस्थान से प्रदेश की राजधानी भोपाल को जोड़ने वाले प्रमुख उज्जैन बदनावर फोरलेन के निर्माण से नए साल में क्षेत्रवासियों को चकाचक सड़क की सौगात मिल गई है। इस मार्ग का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने किया है, जिसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। सीधी सपाट सड़क पर वाहन दौड़ने लगे हैं। ऐसे में उज्जैन से बदनावर की 69.1 किमी लंबी दूरी महज 45 से 50 मिनट में ही तय हो रही है। सिंहस्थ महाकुंभ 2028 तथा बदनावर के मिनी पीथमपुर के रूप में विकसित किए जाने पर औद्योगिक दृष्टि से यह मार्ग अति महत्वपूर्ण साबित होगा। फिलहाल इस मार्ग पर बड़नगर के खरसोदखुर्द के पास एक मात्र टोल प्लाजा है, लेकिन उसे शुरू नहीं किया गया है।
भारतमाला परियोजना एच 752 डी सड़क:
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने 69.1 किमी उज्जैन-बदनावर मार्ग को नेशनल हाईवे (एच-752डी) घोषित कर
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत करीब 1352 करोड़ की लागत से फोरलेन बनाया है। जिसे हाईब्रिड एन्युटी माडल (एचएएम) के तहत सड़क भारतीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप बनाई गई है। इसका निर्माण जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट ने किया है। पूर्व में यह टूलेन मार्ग था, जिसमें कई अंधे मोड़ यातायात में बाधक बने हुए थे तथा सड़क की स्थिति दयनीय होने से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही थीं तथा उज्जैन पहुंचने में दो से ढाई घंटे तक का समय लग रहा था।
वाहनों की गति सीमा तय:
बदनावर के प्राचीन नागेश्वर धाम से उज्जैन के महाकाल लोक को जोड़ने वाला यह क्षेत्र का पहला फोरलेन है, जिस पर भारी वाहनों की गति सीमा 80 तथा हल्के वाहनों के लिए गति 100 किमी प्रति घंटा नियत की गई है। फोरलेन के पास गांवों से आने वाले पशु अक्सर यातायात में अवरोध पैदा करते हैं, इसलिए इस मार्ग पर 130 बाक्स कनवर्ट बनाकर उनकी निकासी सड़क के नीचे से की गई है। इसके अलावा 31 अंडर पासेस भी बनाए गए हैं। गंभीर, चंबल, चामला तथा एक अन्य नदी पर चार मेजर ब्रिज बनाए गए हैं, ताकि वर्षा के दौरान बाढ़ आने पर यातायात बाधित न हो। पूरे मार्ग पर तीन बायपास बनाए गए हैं। इनमें सबसे लंचा करीब 13 किमी का उज्जैन में, नौ किमी लंबा बड़नगर में तथा 5.5 किमी का बदनावर में है। संपूर्ण प्रोजेक्ट में करीब 17 किमी के सर्विस रोड बनाए है। बड़नगर और बदनावर में दो फ्लाईओवर निर्माण तथा बड़नगर और उज्जैन में दो रेलवे ब्रिज निर्माण से वाहनों की आवाजाही सुगम हो गई है।
रील व सेल्फी लेने की मची होड़:
फ्लाईओवर व ब्रिज चकाचौंध रोशनी से सराबोर किए गए हैं। ये सभी आटो कट सिस्टम से संचालित हो रहे हैं। शाम छह बजे से सुबह छह बजे बिजली की चकाचौंध से महानगरों को यादें ताजा हो रही हैं। रात्रि में रोशनी से जगमग ब्रिज पर रील बनाने व सेल्फी लेने वालों की होड़ लगी रहती है। उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिलिंग स्थित है तथा आगामी 2028 में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन भी उज्जैन में ही होगा। गुजरात के साथ ही दक्षिणी राजस्थान से श्रद्धालुओं का आने वाला काफिला बदनावर होकर ही उज्जैन पहुंचेगा। प्रदेश का सबसे अधिक मुनाफे वाला लेबड़ नयागांव फोरलेन बदनावर से होकर ही गुजर रहा है, जो इस मार्ग को क्रास कर रहा है। ऐसे में बदनावर सिंहस्थ के दौरान धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु होगा। इस मार्ग के बनने से यातायात में काफी सुविधा होगी।
औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा मार्ग:
देवास से उज्जैन होकर बदनावर तथा वहां से थांदला, पिटोल से गुजरात और थांदला से राजस्थान के कुशलगढ़ तक के बीच की कड़ी है यह फोरलेन। यहीं नहीं, इसकी कनेक्टिविटी दिल्ली-मुंबई एटलेन एक्सप्रेस हाईवे से भी हो रही है। औद्योगिक दृष्टिकोण से भी यह मार्ग महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि बदनावर मिनी पीथमपुर के रूप में विकसित हो रहा है।मप्र का एक मात्र निर्माणाधीन पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क ग्राम भैसोला में बन रहा है। ग्राम छायन में झील कंपनी में प्रोडक्शन शुरू हो चुका है, तो तिलगारा में औद्योगिक पार्क आकार ले रहा है। ऐसे में भविष्य में यह मार्ग औद्योगिक दृष्टिकोण से भी मील का पत्थर साबित होगा। पूर्व मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी से मिलकर उज्जैन- बदनावर मार्ग निर्माण के लिए अनुरोध किया था। जिस पर तत्काल संज्ञान लेते स्वीकृति और भूमिपूजन किया गया था। आने वाले समय में यह मार्ग हर दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित होगा। अब हमारी मांग है कि बदनावर से थांदला व गुजरात तक फोरलेन क़ा निर्माण करवाया जाए। इससे इस मॉर्ग पर गुजरने वाले लोगो को आवागमन में सुविधा होगी।
गलत संकेतक खड़ी कर रहा परेशानी:
उधर निर्माण कंपनी ने गांव व शहर की पहचान के लिए फोरलेन मार्ग पर संकेतक बोर्ड भी लगाए हैं। यहां बदनावर से कुछ दूर नागेश्वरधाम के पास बने ब्रिज पर गलत संकेतक बोर्ड लगाने से बाहर से आने वाले वाहन चालकों को परेशानी उठाना पड़ रही है। यहां ब्रिज के नीचे सर्विस रोड पर निर्माण कंपनी ने बदनावर की बजाय बड़नगर का संकेतक बोर्ड लगा दिया है। ऐसे में बाहर से आने वाले वाहन चालक बड़नगर तरफ जाने के लिए इस संकेतक बोर्ड को देखकर सर्विस रोड से नीचे उतरकर बदनावर की ओर आ जाते हैं। जब वह बदनावर में पहुंच जाते हैं तब उन्हें पता चलता है कि वे गलत आ गए हैं। तब वे नगर के व्यस्त रास्ते से होकर बड़ी चौपाटी होते हुए दोबारा फोरलेन पर चढ़ते हैं। ऐसे में वाहन चालकों को तो परेशान होना ही पड़ता है। यहां नगर में भी ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ जाती है। लोगों ने निर्माण कंपनी से पहले भी इस संकेतक बोर्ड को हटाकर बड़नगर की बजाय बदनावर का बोर्ड लगाने की मांग की थी। किंतु कंपनी ने कोई ध्यान नहीं दिया।