विविध

इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट अब पीएमओ की सीधी निगरानी में। इस परियोजना की कुल लंबाई 309 किलोमीटर होगी।

मध्य प्रदेश में 18 रेलवे स्टेशन बनाए,59 गांवों की भूमि अधिग्रहित होगी। 18,036 करोड़ रुपए की मंजूरी:

आशीष यादव धार/इंदौर

इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना अब पूरी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की सीधी निगरानी में आ गई है, जिससे इसके कार्य में तेजी आने की उम्मीद है। इस परियोजना के तहत इंदौर जिले में भूमि अधिग्रहण के आदेश जारी हो चुके हैं। सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इस परियोजना के तहत कुल 13 जिलों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। मह के गांवों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को गति देने हेतु अधिकारी की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिससे यह प्रक्रिया जल्द पूरी हो सके। इस परियोजना की कुल लंबाई 309 किलोमीटर होगी और यह इंदौर से मुंबई को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है। सरकार ने सितंबर में इस प्रोजेक्ट के लिए 18,036 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। इस नई रेल लाइन से यात्री सुविधाओं में सुधार होगा और औद्योगिक क्षेत्रों को मजबूत कनेक्टिविटी मिलेगी।

59 गांवों की भूमि अधिग्रहित होगी:
इस परियोजना का 170.56 किलोमीटर हिस्सा मध्य प्रदेश में आएगा, जिसमें 905 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है। इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश में 18 रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें महू, केलोद, कमदपुर, झाड़ी बरोदा और अन्य स्टेशन प्रमुख हैं। इसके अलावा, इंदौर और धुलिया जिले के कुल 59 गांवों की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इनमें धार के साथ इंदौर जिले के 22 गांव और धुलिया जिले के 37 गांव शामिल हैं। इंदौर-मनमाड़ रेलवे संघर्ष समिति के मनोज मराठे के अनुसार, रेल मंत्रालय द्वारा मध्य रेलवे के तहत इन गांवों की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

18,036 करोड़ रुपए की मंजूरी:
इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट की योजना पर पिछले कई वर्षों से काम चल रहा है। 2022 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल सकी थी, लेकिन 2023 में इसे 2 करोड़ रुपये की टोकन राशि जारी की गई। मध्यप्रदेश के हिस्से में डीपीआर और सर्वे का काम पूरा किया गया। 2024 के बजट में भी इस प्रोजेक्ट के लिए टोकन राशि दी गई थी, लेकिन अब इसे 18,036 करोड़ रुपए की मंजूरी मिल गई है। यह राशि आगामी बजट में उपलब्ध कराई जाएगी।

30 लाख लोगों को होगा फायदा:
309 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन इंदौर से महाराष्ट्र के मनमाड तक बिछाई जाएगी, जिससे करीब 30 लाख की आबादी को सीधा लाभमिलेगा। रेलवे ने भूमि स्वामियों को उचित मुआवजा देने का आश्वासन दिया है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर 16 जोड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाएगा, और शुरूआती वर्षों में अनुमानित 50 लाख यात्री इस सुविधा का लाभ उठाएंगे।

समय और लागत बचेंगे:
इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट से इंदौर से मुंबई की दूरी 830 किलोमीटर से घटकर 568 किलोमीटर रह जाएगी, जिससे यात्रा में लगने वाला समय और लागत दोनों कम होंगे। यह रेल लाइन धार, खरगोन और बड़वानी जिले के आदिवासी अंचलों से गुजरेगी, जिससे इन क्षेत्रों को पहली बार रेलवे कनेक्टिविटी मिलेगी। इस परियोजना से न केवल यात्री सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि व्यापार और औद्योगिक क्षेत्रों को भी बड़ा फायदा मिलेगा। इस परियोजना से रेलवे को हर साल लगभग 900 करोड रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

इंदौर में रेलवे पटरियों की हो रही सोनोग्राफी:
रेल विभाग ने दिल्ली से मुबंई के रेलवे ट्रेक पर पटरियों की जांच शुरू की है। 70 हजार किलोमीटर लंबाई की पटरियों की ताकत के लिए उनकी सोनोग्राफी की जा रही है। पटरियों पर चलने वाली मशीन से हो रहे अल्ट्रासाउंड टेस्ट से टेक पर जंग की स्थिति, उनकी वेल्डिंग की गुणवत्ता व उनके कमजर हिस्सों का पता लगाया जा रहा है। इस टेस्ट में एक अल्ट्रासोनिक मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इंदौर के मुख्य रेलवे स्टेशन के एक नंबर और तीन नंबर प्लेटफार्म पर मशीन से पटरियां जांची की जा रही है। जब ट्रेक पर ट्रेन का आवागमन नहीं होता है, तब चार से पांच कर्मचारियों का दल यह काम करता है। ट्रेक की जांच कर रहे अफसरों ने बताया कि ट्रेन हादसे लोको पायलेट की गलती, ट्रेक में टूट-फूट या ट्रेन के भारी वस्तु से टकराने से होती है। देश में कई रुटों पर बरसों पुरानी पटरियां है। उन पर आए क्रेक से हादसे न हो, इसलिए पटरियों की जांच होती है। पटरियों की जांच के लिए इंटीग्रेटेड ट्रेक मॉनिटरिंग और ट्रेक रिकार्डिंग कार तकनीक का भी इस्तेमाल होता है, लेकिन अल्ट्रा साउंड टेस्ट वाली यह स्वदेशी तकनीक ज्यादा आधुनिक है। आत से दस लाख रुपये लागत की यह मशीन आसानी से एक दिन में 50 से 80 किलोमीटर ट्रेक की जांच आसानी से हो जाती है। मशीन को पटरियों पर रखकर चलाया जाता है। जिस हिस्से में भी ट्रेक की कमजोरी का पता चलता है। वहां से निकटवर्ती रेलवे स्टेशन की दूरी पताकर और निशान लगाकर जांच के लिए टीम आगे बढ़ जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!