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भारतीय संस्कृति में संवाद की परम्परा का संवाहक नर्मदा साहित्य मंथन – श्रीरंग पेंढारकर

भारतीय संस्कृति में संवाद की परम्परा का संवाहक नर्मदा साहित्य मंथन – श्रीरंग पेंढारकर

*एसजीएसआयटीएस*,इन्दौर के *स्पन्दन सभागृह* में सम्पन्न हुआ।

इंदौर। *नर्मदा साहित्य मंथन-चतुर्थ सोपान* के संयोजक श्री श्रीरंग पेंढारकर ने विगत वर्ष के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए आयोजन की पृष्ठभूमि एवं आवश्यकता के विषय में सारगर्भित उद्बोधन में बताया कि हमारे यहाँ पर ज्ञान-विज्ञान पश्चिम की देन है इस मिथक को तोडने का उपक्रम नर्मदा साहित्य मंथन है । क्योकी भारतीय चिंतन ज्ञान विज्ञान कहीं अधिक समृद्ध और प्राचीन है,आज पश्चिम के असफल चिंतन के सामने भारतीय चिंतन को सम्पूर्ण दुनिया आशा भरी दृष्टि से देख रही है। देश के ऐतिहासिक विषयों से लेकर विस्थापन जैसे संवेदनशील विषय के साथ पर्यावरण के प्रति भारतीय दृष्टीकोण और भारत मे मातृशक्ति का महत्व एवं योगदान जैसे अनेक विषयों पर देश भर के ख्यात विद्वान वक्ताओं को एक ही छत के नीचे सुनने का सुअवसर है ।कार्यक्रम में शहर के विभिन्न वैचारिक संस्थाओं एवं साहित्यिक समूह के लगभग 100 विशिष्ट एवं प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे। उपस्थित जनों में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति,साहित्यकार,इन्जीनियर,डाॅक्टर,सीए एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।
मंच पर विश्व संवाद केंद्र मालवा के अध्यक्ष श्री दिनेश गुप्ता , नर्मदा साहित्य मंथन के संयोजक श्री श्रीरंग पेंढारकर तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमति सोनाली नरगुन्दे उपस्थित थी।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमति समीक्षा नायक ने किया।

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