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अहिल्या की नगरी में सरकार की बैठक, होगी प्रदेश के विकास पर चर्चा, मिलेगी मालवा-निमाड़ को रफ्तार

देवी अहिल्याबाई होल्कर के सुशासन और समाज कल्याण के गढ़े पथ पर अग्रसर मध्यप्रदेश सरकार

आशीष यादव धार

आज का दिन एक बार फिर से इतिहास में दर्ज होने वाला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्णय अनुसार आज मध्यप्रदेश शासन की केबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक देवी अहिल्या बाई होल्कर की पावन नगरी महेश्वर में होने जा रही है। अपने शासनकाल में देवी अहिल्या बाई होल्कर ने सुशासन की अद्भूत मिसाल प्रस्तुत की थी। उन्होंने अपने राज्य में सुशासन के साथ ही न्याय, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण और संवर्धन आदि जनहित से जुड़े विषयों पर अद्भूत कार्य कर एक आदर्श स्थापित किया। उनके द्वारा गढ़े गये सुशासन, कुशल प्रशासन न्यायप्रियता, परोपकार, धर्म कल्याण, जल संवर्धन और जल संरक्षण के पथ पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार तेजी से अग्रसर है। माँ देवी अहिल्या बाई को अपना आदर्श मानकर उनके बताये मार्ग पर चलकर वे सुशासन की एक नयी दिशा तय करने जा रही है। प्रदेश में डॉ. मोहन यादव ने देवी माँ अहिल्या बाई होल्कर के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये अनेक योजनाएँ, कार्यक्रमों और गतिविधियों का क्रियान्वयन प्रारंभ किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में समूचा मंत्रिमंडल आज पुण्य श्लोका देवी अहिल्या बाई को नमन करने महेश्वर पहुँच रहा है। देवी अहिल्या बाई होलकर भारतीय इतिहास की एक महान शासिका और कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। उनका जीवन संघर्ष, साहस और सशक्त नेतृत्व का प्रतीक रहा।

सशक्त नेतृत्व और प्रशासन
देवी अहिल्याबाई ने इंदौर राज्य की बागडोर संभालते हुए अपने शाही परिवार की संपत्ति और शक्ति को बढ़ाया। उन्होंने न्याय, धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए। उनका शासन एक समृद्ध और उन्नत समाज की दिशा में था। वह एक कुशल प्रशासक के रूप में प्रसिद्ध हुईं। उनके समय में इंदौर राज्य में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई, व्यापार बढ़ा और समाज में सांस्कृतिक और धार्मिक समरसता आई। उनकी न्यायप्रियता और दयालुता एक विशेष पहचान रही है। उन्होंने अपने राज्य में अपराधियों को सजा देने में कठोरता का उपयोग किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने गरीबों,असहाय और अन्य जरूरतमंदो की मदद में भी कोर-कसर नहीं रखी।

सामाजिक कार्य और धार्मिक दृष्टिकोण
देवी अहिल्याबाई ने महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई कार्य किए। उन्होंने मंदिरों का निर्माण कराया और धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान दिया। विशेष रूप से उन्होंने मंदिरों के निर्माण और पुनर्निर्माण के अनेक कार्य किए। इसके अलावा उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की। उन्होंने जल संरक्षण और संवर्धन के लिए कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया। भूखों के लिए अन्न क्षेत्र खोले, प्यासों के लिए प्याऊ का निर्माण करवाया। अनेक घाट बनवाये।

सैन्य शक्ति और रणनीति
देवी अहिल्याबाई केवल एक शासिका नहीं बल्कि एक सशक्त सैन्य नेता भी थीं। उनका सैन्य बल बहुत मजबूत था और उन्होंने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया। उनका युद्ध कौशल और रणनीतिक दृष्टिकोण बहुत सराहा गया। देवी अहिल्याबाई ने कई बार बाहरी आक्रमणों का डटकर मुकाबला किया और अपने राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित की।

प्रारंभिक जीवन और गद्दी तक का सफर
देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म 1725 में महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव चोंडी में हुआ था। अहिल्याबाई की शादी मल्हार राव होलकर के बेटे खंडेराव होलकर से हुई थी। 1754 में खंडेराव के निधन के बाद देवी अहिल्या बाई ने होलकर राज्य की गद्दी संभाली और शासिका के रूप में एक नई दिशा दी।

शासन और प्रशासन
देवी अहिल्याबाई होलकर ने 1767 से 1795 तक होलकर वंश के शाही परिवार की सत्ता संभाली और मध्य प्रदेश के महेश्वर से अपना शासन चलाया। उनका शासन दूरदृष्टि और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने राज्य के लोगों की भलाई के लिए कई सुधार किए और उनका प्रशासन निष्पक्ष, कर्मठ और प्रभावी था। उनके शासन में किसानों का कल्याण, व्यापार को बढ़ावा देना और बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़कों, जल आपूर्ति और शिक्षा पर ध्यान दिया गया। उन्होंने महेश्वर के किले, मंदिरों और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कराया, जिससे राज्य में एक नया जीवन आया।

महान शासिका देवी अहिल्याबाई और मध्य प्रदेश का इतिहास:
देवी अहिल्याबाई भारतीय इतिहास की एक महान और सम्मानित शासिका थीं, जिनका योगदान न केवल मराठा साम्राज्य में बल्कि मध्य प्रदेश के इतिहास में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा। 18वीं सदी में अपनी शासन शैली और दूरदृष्टि के लिए प्रसिद्ध देवी अहिल्याबाई का शासनकाल मध्य प्रदेश में विकास और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक बना।

सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान
देवी अहिल्याबाई न केवल एक उत्कृष्ट शासिका थीं, बल्कि एक महान सांस्कृतिक संरक्षक भी थीं। उन्होंने कई मंदिरों, किलों और अन्य धार्मिक संरचनाओं का निर्माण कराया। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर जैसी महत्वपूर्ण धार्मिक परियोजनाओं को उन्होंने पुनर्निर्मित किया। उनका उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना था।

सामाजिक कल्याण और समानता
देवी अहिल्याबाई ने अपने शासन में सामाजिक कल्याण के लिए कई पहल की। उन्होंने न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी, बल्कि समाज में व्याप्त भेदभाव को भी समाप्त करने का प्रयास किया। उनके दरबार में हर जाति और समुदाय के लोग सम्मानित थे। उनके शासन में गरीबों और वंचितों के लिए कई योजनाएं बनाई गई, जिनसे उन्हें राहत मिली।

मध्य प्रदेश में अहिल्याबाई की धरोहर
देवी अहिल्याबाई होलकर का शासनकाल मध्य प्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम युग माना जाता है। आज भी महेश्वर, जो कि उनका राजधानी स्थल था, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। महेश्वर के किलों, घाटों और मंदिरों को देखकर देवी अहिल्याबाई की दूरदृष्टि और उनके योगदान का अहसास होता है। उनकी धरोहर मध्य प्रदेश के लोगों के लिए गर्व का विषय है और उनके योगदान को न केवल उनके समय में, बल्कि आज भी याद किया जाता है।

निधन और धरोहर
देवी अहिल्या बाई का विवाह 1745 में इंदौर के होलकर परिवार के खंडेराव होलकर से हुआ था। उनका जीवन एक सामान्य गृहिणी के रूप में शुरू हुआ, लेकिन जब उनके पति की असमय मृत्यु हो गई, तब अहिल्याबाई ने न केवल अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभाला, बल्कि एक प्रभावशाली शासिका के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।
देवी अहिल्याबाई का निधन 13 अगस्त 1795 को हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके द्वारा किए गए कार्यों और योगदान को हमेशा याद किया जाता है। उन्होंने न केवल इंदौर राज्य बल्कि पूरे भारत को एक मजबूत महिला नेतृत्व का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका जीवन यह साबित करता है कि एक महिला होकर भी किसी भी क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावशाली हो सकती है, यदि उसे सही दिशा और अवसर मिले।

देवी अहिल्याबाई के आदर्शों के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार की कार्यशैली
देवी अहिल्याबाई होलकर की वीरता, दूरदर्शिता और जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक विशेष स्थान दिलाया। उनके द्वारा अपनाए गए आदर्शों को आज की मध्य प्रदेश सरकार अपने कार्यों और नीतियों में लागू कर रही है।

जनकल्याण और सामाजिक सुधार
देवी अहिल्याबाई का शासन जनकल्याण के लिए समर्पित था। वर्तमान मध्य प्रदेश सरकार भी विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं का संचालन कर रही है। इन योजनाओं का उद्देश्य गरीबों और वंचित समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना है।

धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता
देवी अहिल्याबाई ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। आज की सरकार भी धार्मिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है, जैसे कि विभिन्न धार्मिक आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से।

नारी सम्मान और सशक्तिकरण
देवी अहिल्याबाई ने महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य किए। वर्तमान मध्य प्रदेश सरकार भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है, जैसे लाड़ली लक्ष्मी योजना और उज्ज्वला योजना।

उत्कृष्ट प्रशासन और कानून व्यवस्था
देवी अहिल्याबाई के शासनकाल में कानून और व्यवस्था के प्रति विशेष ध्यान दिया गया था। वर्तमान सरकार भी प्रशासनिक सुधारों के तहत ई-गवर्नेंस और समयबद्ध निवारण प्रणालियाँ लागू कर रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के कार्यभार को संभालते ही प्रशासनिक दृढ़ता और सुशासन के प्रति अपनी संकल्पबद्धता का परिचय देते हुए अनेक महत्वपूर्ण् निर्णय लेकर उनका त्वरित क्रियान्वयन कराया। उन्होंने ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग संबंधी अधिनियम का कड़ाई से पालन कराया और प्रदेश में अराजकता फैलाने वाले तत्वों और माफियाओं के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई भी करायी।

आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचा
देवी अहिल्याबाई के शासनकाल में उन्होंने बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान दिया। आज की सरकार भी राज्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है। देवी अहिल्याबाई के सिद्धांतों पर सुशासन आधारित नीतियों का पालन करके मध्य प्रदेश सरकार राज्य के विकास और समृद्धि की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।

निष्कर्ष
देवी अहिल्याबाई होलकर एक अद्वितीय शासिका थीं, जिन्होंने अपनी जनहितेषी और कल्याणकारी नीतियों, दृष्टिकोण और सुशासन के माध्यम से मध्य प्रदेश और भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। उनका योगदान न केवल राजनीतिक और प्रशासनिक था, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अनमोल था। उनका जीवन और कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं और उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

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