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राम भारत भूमि के रोम-रोम में और कृष्ण कण-कण में

गीता भवन में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव – भजनों पर थिरकते रहे श्रद्धालु

इंदौर । भक्ति का बीज कभी बंजर नहीं होता। राम और कृष्ण भारत भूमि के आधार स्तंभ हैं।राम नाम की भक्ति का बीज पूरे ब्रह्मांड को लहलहा देता है तो कृष्ण नाम की भक्ति का माधुर्य भी समूचे विश्व को अब तक प्रेम एवं रसमय बनाए हुए है। राम यदि इस भारत भूमि के रोम रोम व्याप्त हैं तो कृष्ण भी कण-कण में मिल जाएंगे। राम और कृष्ण के बिना भारत भूमि की कल्पना संभव नहीं है। इतिहास संग्रह करने वालों को नहीं, त्याग करने वालों को याद रखता है।

            गीता भवन सत्संग सभागृह में गोयल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में चौथे दिन श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग पर उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। कथा के दौरान पहले राम और फिर कृष्ण जन्मोत्सव भी मनाए गए। कथा प्रसंगानुसार जैसे ही कृष्ण जन्म का प्रसंग आया और बाबा नंद नन्हें कृष्ण को पुष्पों से सुसज्जित टोकरी में लेकर कथा स्थल पहुंचे, समूचा सभागृह भगवान कृष्ण के जयघोष एवं ‘नंद में आनंद भयो’…. भजन पर नाच उठा। संगीतमय कथा के दौरान साध्वी कृष्णानंद द्वारा प्रस्तुत मधुर भजन भी भक्तों को आल्हादित बनाए हुए हैं। पुष्प वर्षा के बीच कृष्ण जन्म पर माखन मिश्री की मटकियां फोड़ी गई, गुब्बारों से कथा स्थल को सजाया गया और बच्चों के बीच टाफी-बिस्किट एवं माखन-मिश्री और पंजेरी का प्रसाद बांटा गया। 

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