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सेंधवा; हम दुसरो के छोटे से छोटे अवगुण को देखने के लिए तैयार बैठे है, स्वयं के 100 अवगुण को देखने को तैयार नही

सेंधवा। आज हमारी स्थिति है कि हम जहा जाते है वहा दुसरो के अवगुण देखते है, इसलिए हमारे स्वयं के जीवन मे गुण नही आते है क्योकि हम अवगुण को पसंद करते है । हमारे पास दुसरो के अवगुण बोलने का समय है हमें दुसरो की बुराई करने में समय नही लगता है जबकि दुसरो के गुण बोलने में आवाज नही निकलती है ।
ये विचार आज देवी अहिल्या मार्ग स्थित जैन स्थानक में ज्ञानगच्छाधिपति प्रकाशचंदजी म.सा के आज्ञानुवती नरेषमनुीजी म.सा ने व्यक्त किये। आपने कहा कि हम दुसरो के छोटे से छोटे अवगुण को देखने के लिए तैयार बैठे है पर स्वयं के 100 अवगुण को देखने को तैयार नही है। आपने उदाहरण देते हुए बताया कि जब हम किसी के यहा भोजन के आयोजन मे जाते है ओर वहा 111 प्रकार के व्यंजन हो ओर हम उसमे 70 व्यजंन को खा लिये पर यदि उस आयोजन में 1 व्यजंन भी समाप्त हेा जाये तेा हम उन 70 व्यजंन की बात नही करेंगे किन्तु 1 व्यजंन जेा समाप्त हो गया उसी की बात किया करेंगें। ज्ञानीजन फरमाते है कि जब हमारी दृष्टी में अवगुण भरे पडे है तेा हमें दुसरो में केवल अवगुण ही नजर आते है, हमें दुसरो के अवगुणो को बोलने में तेा विशिष्टता प्राप्त है ।
आपने कहा कि प्रभु ने फरमाया है कि हमें स्वयं के अवगुण देखना है ओर दुसरो के गुण , जब तक व्यक्ति स्वयं के अवगुण नही देखेगा तब तक वह उसे दुर नही कर पायेगा इसलिए हमें सबसे पहले अपने स्वयं के अवगुणो को देखना है। आज यदि कोई हमारे परिवारजन या पडोसी के 5 गुण बोलने का बोले तो हम बोल नही पाते है जबकि यदि अवगुण गिनाना हो तेा हम 100 निकाल लेंगे।
आपने कहा कि जिस प्रकार हमारे शरीर में यदि छोटी सी भी गठान हो जाये तेा हम तत्काल उसकी जांच करवा कर उस गठान को निकलवा लेते है उसमे किसी प्रकार का विलंब नही करते क्योकि हमें पता है कि यदि केैंसर की गठान बड गई तो क्या होगा ? ओर यदि कोई विलंब करता है तेा फिर सभी उसे मुर्ख बोलेंगे कि बिमारी पता चलने बाद भी इलाज नही करवाया। उसी प्रकार ज्ञानीजन फरमाते है कि यदि हमें हमारे अवगुण के संबध मे जैसे ही पता चले उसे तुरंत दुर करे क्योकि ये हमारे अवगुण हमारा यह जीवन ही नही भव-भव बिगाड देंगे ।
उक्त धर्मसभा में घेवरचंद बुरड, बी.एल.जैन, प्रकाश सुराणा, के.सी. पालीवाल, महावीर सुराणा, कुलदीप पाटीदार, मितेश बोकड़िया, भुषण जैन, राहुल बुरड सहित अनेक श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।

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