सेंधवा; श्रीमद् भागवत कथा का समापन

सेंधवा। महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समाज द्वारा पितृपक्ष में अपने पितरों के लिए समर्पित भागवत कथा का बुधवार को समापन हुआ। कथा के दौरान भागवत् मर्मज्ञ श्री आदित्य प्रकाश त्रिपाठी ने श्रोताओं को श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का चरित्र सुनाया। नटखट माखन चोर श्री कृष्ण और गोपियों की हंसी-ठिठौली को भी बहुत ही विनोद पूर्ण ढंग से सुनाया। एक अन्य प्रसंग में सुदामा चरित्र में श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता का बहुत ही मार्मिक वर्णन किया और संदेश दिया की मित्रता विचारों का मिलन है। मित्रता के बीच में धन ऐश्वर्य पद-प्रतिष्ठा और संपत्ति का कोई स्थान नहीं होता है। भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखा का नाम सुनते ही अपने सिंहासन से नंगे पैर दौड़ते हुए द्वार पर उससे मिलने के लिए चले जाते हैं और मित्र की दीन दशा देखकर स्वयं करुणा निधान की आँखों से अश्रु धारा बह चली। उन्होंने अपने मित्र के कांटे युक्त पैरों को आँसुओं के जल से धो दिया।
भागवत कथा के अंत में संकल्प की पूर्णता हेतु एवं पितरों की शांति तथा सुख समृद्धि के आशीर्वाद के लिए हवन किया गया और भंडारा प्रसादी का आयोजन किया गया।
