बड़वानीमुख्य खबरे

बड़वानी; कड़कनाथ मुर्गी पालन में हैं स्वरोजगार की अच्छी संभावनाएं-डॉ. वर्मा

बड़वानी। किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए समेकित खेती अपनानी चाहिए। इसमें फसलों की उपज लेने के साथ ही मुर्गी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन जैसी आर्थिक क्रियाएं भी सम्मिलित रहती हैं। कड़कनाथ मुर्गे की प्रसिद्धी बहुत है। इसकी डिमांड भी अधिक है। कड़कनाथ मुर्गी पालन के द्वारा आप स्वरोजगार कर सकते हैं। इसका रक्त और चिकन काला होता है। झाबुआ जिला कड़़कनाथ मुर्गी पालन के लिए पूरे देष में प्रसिद्ध है। धार में भी इसका पालन हो रहा है। सरकार भी अपनी रोजगारोन्मुखी योजनाओं के माध्यम से कड़कनाथ मुर्गी पालन को प्रोत्साहित कर रही है। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ द्वारा प्रषिक्षित किये जा रहे व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैविक खेती के विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान केन्द्र, तलून, जिला-बड़वानी में स्थित कड़कनाथ मुर्गी पालन की प्रदर्षन इकाई का अवलोकन करवाते हुए प्राचार्य डॉ. दिनेष वर्मा ने कहीं।


दो सौ विद्यार्थियों ने की विजिट
कार्यकर्तागण प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि तीन बैचेस में लगभग दो सौ विद्यार्थियों ने कृषि विज्ञान केन्द्र की विजिट की और वहां मौजूद विभिन्न इकाइयों को देखकर व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया। विद्यार्थियों को प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एस. के. बड़ोदिया, उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. डी. के. जैन, मृदा वैज्ञानिक डॉ. भगवान कुमरावत ने बहुमूल्य मार्गदर्षन दिया। प्रषासनिक अधिकारी डॉ. जयराम बघेल और अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेष परमार ने विद्यार्थियों की प्रगति का अवलोकन किया।


ये हैं कड़कनाथ की विषेषताएं
डॉ. दिनेष वर्मा ने विद्यार्थियों को कड़कनाथ मुर्गे की विषेषताएं विस्तार से बताई। उन्होंने कहा कि इसे कालामांसी भी कहा जाता है। इसका मांस, चोंच, कलगी, जुबान, टांगे, नाखून, चमड़ी आदि काले होते हैं। इसका कारण यह है कि इसमें मिलैनिन पिगमेंट की अधिकता होती है। इसे औषधीय मुर्गा भी कहा जाता है। इसके चिकन में औषधीय गुण होते हैं। झाबुआ जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा हुआ है कि कड़कनाथ में कम कोलेस्ट्रॉल, उच्च लौह सामग्री और कैंसर विरोधी गुण शामिल हैं। विजिट का समन्वय प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने किया। सहयोग नागरंिसह डावर एवं डॉ. मधुसूदन चौबे ने किया।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!