कैदियों को सिखाई जीवन जीने की कला
क्रोध, हिंसा और अपराधबोध से मुक्ति का अनुभव कर रहे कैदी
मध्य प्रदेश की 5 केन्द्रीय जेलों में आर्ट ऑफ़ लिविंग के 36 प्रशिक्षकों ने 800 कैदियों को सिखाई जीवन जीने की कला; क्रोध, हिंसा और अपराधबोध से मुक्ति का अनुभव कर रहे कैदी
भोपाल, । केन्द्रीय जेल नरसिंहपुर में प्रिज़न कार्यक्रम के एक दिव्यांग प्रतिभागी मनीष ने आर्ट ऑफ़ लिविंग कार्यक्रम का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं मनीष, पुत्र बलराम प्रसाद नेत्रहीन हूँ, लेकिन मैंने आर्ट ऑफ लिविंग का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। सुदर्शन क्रिया, ध्यान की बहुत अच्छी विधि है। इससे जो अनुभव हुए मैंने स्वयं महसूस किए यह ज़िंदगी का सबसे अच्छा अनुभव है। इसके लिए मैं आर्ट ऑफ लिविंग का हृदय से आभारी रहूँगा। इस कार्यक्रम से मेरी सोच की दिशा में बदलाव हुआ और क्रोध पर नियंत्रण हुआ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सतत अभ्यास से सकारात्मक परिवर्तन होगा।”
मध्य प्रदेश सरकार के जेल एवं सुधारात्मक सेवा विभाग ने कैदियों के मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक सुधार की दिशा में, आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था के साथ मिलकर एक अभूतपूर्व पहल की है। मध्य प्रदेश सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी, श्री मनीष रस्तोगी जी की देखरेख में मध्य प्रदेश की पाँच केन्द्रीय जेलों भोपाल, जबलपुर, नर्मदापुरम,रीवा और नरसिंहपुर तथा रतलाम की एक सर्किल जेल में कैदियों के पुनर्वास और बेहतर स्वास्थ्य के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रिज़न कार्यक्रम आयोजित करने की पहल की गयी है। ये कार्यक्रम इन सभी जेलों में अगले एक वर्ष तक जारी रहेंगे और जेल के सभी कैदियों को सुदर्शन क्रिया, प्राणायाम, योग और ध्यान के माध्यम से तनावमुक्त करेंगे।
आर्ट ऑफ़ लिविंग के जेल कार्यक्रम से, आपराधिक न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए रखे गए कैदियों में, बहुत बड़े स्तर पर सकारात्मक प्रभाव की लहर पैदा कर रहे हैं। अब तक इस कार्यक्रम से दुनिया भर के 65 से अधिक देशों के लाखों कैदियों ने तनावमुक्ति, अघात राहत, नकारात्मक और आपराधिक प्रवृत्तियों से निकलने और अपनी रचनात्मक क्षमता के सकारात्मक प्रयोग की कला सीखी है। आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रिज़न कार्यक्रम के माध्यम से लाखों कैदी अपराधबोध, क्रोध, घृणा और हिंसा की नकारात्मक प्रवृत्तियों से बाहर निकल चुके हैं। और कुछ बेहतर करने का संकल्प लेकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं और अपने जीवन में बहुत खुश हैं।
इसी दिशा में मध्य प्रदेश की इन जेलों में आर्ट ऑफ़ लिविंग का पहला प्रिज़न कार्यक्रम संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम 22 बैचों में आयोजित किया गया, जिसमें 800 कैदियों ने प्राणायाम, योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया का अद्भुत अनुभव किया। इस कार्यक्रम में, आर्ट ऑफ़ लिविंग के 36 प्रशिक्षकों ने 800 कैदियों को तनावमुक्त और हिंसामुक्त रहने का प्रशिक्षण दिया। इन कार्यक्रमों में महिला तथा पुरुष दोनों कैदियों की ऐतिहासिक शानदार भागीदारी देखी गयी जो अपने आप में लैंगिक समानता का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
नरसिंहपुर जेल में प्रिज़न कार्यक्रम के प्रतिभागी अजय कुमार ने बताया, “मुझे जेल में आने के बाद पहली बार इतनी शांति का अनुभव हुआ। …मुझे यह एहसास हो गया है कि दुनिया भर के लोग जिस शांति की खोज में मारे-मारे फिरते हैं, वह कहीं भी नहीं बल्कि आपके अपने अंदर स्थित है। और मुझे स्वयं ही इस बात का एहसास हुआ कि अगर गुरु की दिशा प्राप्त हो, तो इंसान अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है। शिविर में कुछ दिन गुजारने के पश्चात मेरे अंदर कुछ हद तक सत्य का सामना करने की ताकत आ गई।”
कार्यक्रम का अगला सत्र 18 मई से सुनिश्चित किया गया है । यहाँ यह देखना महत्वपूर्ण है कि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने, कैदियों के पुनर्वास और उन्हें तनावमुक्त एवं हिंसामुक्त रहने के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग मध्य प्रदेश के 800 प्रशिक्षकों को सबसे अधिक जेलों में ध्यान एवं प्राणायाम शिविर आयोजित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है।