दीप समर्पण एवं विभिन्न रागों द्वारा भक्तामर स्तोत्र की प्रस्तुति
48 काव्यों के 48 दीपक सामूहिक रूप से मंत्रोच्चार सहित समर्पित किए

इंदौर। विश्व के सबसे प्रभावशाली एवं वैज्ञानिक दृष्टि से सिद्ध किए गए मंत्रों में से एक है णमोकार मंत्र या नवकार मंत्र जिसके जादुई परिणाम देखे गए हैं जैनों ने ध्यान करते समय इस प्रार्थना का सबसे पहले उच्चारण किया , पांच प्रकार के आत्माओं के प्रति आदर व्यक्त करने की यह पूरी प्रक्रिया है इस प्रकार का विश्व का यह केवल एक मंत्र है जो असांप्रदायिक है और किसी विशेष तीर्थंकर या धार्मिक रीति पर निर्भर नहीं है इस मंत्र के बीज मत्रों में चिकित्सा की बहुत ही शक्तिशाली विशेषताएं हैं जिससे अधिकतम स्वास्थ्य की स्थिति उत्पन्न होती है केवल जैन या हिंदू ही नहीं बल्कि तिब्बती , कब्बालाह और यूरोप की संस्कृति में भी प्राचीन काल से ध्वनि की चिकित्सा के लिए प्रयुक्त होता आया है इसी प्रकार श्री आदिनाथ भक्तामर स्तोत्र के 48 काव्यों एवं मंत्रों द्वारा भी विभिन्न समस्याओं का निवारण निहित है इसके सतत् उच्चारण से जीवन में आ रही विभिन्न समस्याओं का निवारण किया जाना संभव हो पाता है
श्री आदिनाथ भगवान के जन्मकल्याणक के अवसर पर श्री पल्लीवाल जैन महासभा द्वारा आयोजित भक्तामर अर्चना कार्यक्रम मे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेणु जैन ने अपने विचार व्यक्त किये ,
राजीवरतन जैन एवं ज्योतिषाचार्य एम के जैन ने बताया कि श्री अनन्तनाथ जिनालय छावनी मे आयोजित कार्यक्रम में श्रावक भक्तों द्वारा भक्तामर के 48 काव्यों के 48 दीपक सामूहिक रूप से मंत्रोच्चार सहित समर्पित किये गये, इस अवसर पर कुलपति श्रीमती रेणु जैन, राष्ट्रीय तीर्थरक्षा समिति के नव मनोनीत महामंत्री श्री हंसमुख गांधी एवं श्री सिद्धार्थ जैन का सम्मान अध्यक्ष राजेन्द्र जैन, मंत्री इन्द्रकुमार जैन, श्रीमती सुधा जैन, किया। इस अवसर पर विभिन्न जैन संस्थाओं के पदाधिकारी तथा समाजजन उपस्थित थे।