सुख और दु:ख भोगने का साधन है शरीर- आचार्य विशुद्ध सागर महाराज
जीवन में आयतन को आयतन के रूप में देखना चाहिए।

सुमतिधाम बना आस्था का केंद्र : आज और कल मिलाकर लाखों समाज जन पहुंचे गुरूवर का आशीर्वाद लेने
प्रतिष्ठाचार्यों के निर्देशन में लाभार्थी परिवार व इंद्र-इंद्राणियों ने की पंचकल्याणक की विधियां संपन्न, शाम को लेजर लाईट शो देखने उमड़ा जनसैलाब
इन्दौर । भोग का आयतन शरीर है। जीवन में आयतन को आयतन के रूप में देखना चाहिए। आयतन को देखकर कभी भी हर्ष या विषाद करने की आवश्यकता नहीं है। भले ही भवन बड़ा हो लेकिन उसमें आपको सुख के और दु:ख के दिन भी देखना पड़ेंगे। आपके घर पुण्य आएंगे तो मंगला चरण आपके घर ही होंगे और शोक के दिन भी आपके घर ही आएंगे दूसरे के घर नहीं। सुख भोगने के लिए शरीर ही काम आएगा और दु:ख भोगने के लिए शरीर ही आएगा। दोनों ही स्थितियों में आपको साम्य दृष्टि बनाए रखना है। सुख और दु:ख के दिन शाश्वत नहीं हैं। ये नियम से आते हैं नियम से ही जाएंगे। जो शाश्वत है वही सुख भी नहीं है और दु:ख भी नहीं। उक्त बात गांधी नगर स्थित सुमतिधाम पर आयोजित 6 दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के दुसरे दिन गुरूवार को गर्भ कल्याणक उत्तराद्र्ध के जन्मदिन कल्याणक के प्रसंग पर आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए प्रवचनों की अमृत वर्षा की। उन्होंने सभी श्रावक-श्राविकाओं से कहा कि मानव जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं। हमें हर परिस्थिति में इसका सामना करना चाहिए। कभी घबराना या विचलित नहीं होना चाहिए।
पंचकल्याणक महामहोत्सव समिति आयोजक मनीष-सपना गोधा ने बताया कि गांधी नगर स्थित सुमतिधाम पर आयोजित देश का सबसे बड़ा व भव्य पंचकल्याणक महोत्सव में प्रतिदिन लाखों लोग गुरूवर का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। सुबह जहां प्रतिष्ठाचार्य पंचकल्याणक की विधियां संपन्न करवा रहे हैं तो वहीं शाम को होने वाले लेजर लाईट शो में भी समाज बंधुओं का जन सैलाब उमड़ रहा है। 6 दिवसीय इस महोत्सव के दुसरे दिन गर्भ कल्याणक उत्तराद्र्ध महोत्सव मनाया गया। जिसमें 5000 हजार इंद्र-इंद्राणियों के साथ ही लाखों लोग इसके साक्षी बने। महोत्सव के दुसरे दिन प्रतिष्ठाचार्य प्रदीपकुमार जैन मधुर (मुंबई), सह-प्रतिष्ठाचार्य चंद्रकांत गुंडप्पा इंड़ी (कर्नाटक), पं. नितिनजी झांझरी (इन्दौर), विधानाचार्य पीयूष प्रसून (सतना) एवं तरूण भैय्याजी (इन्दौर) के सान्निध्य में सुबह के सत्र में शांतिधारा सहित पंचकल्याणक की विधियां संपन्न की गई। सुबह 10 बजे आचार्यश्री ने गर्भकल्याणक की व्याख्या कर प्रवचनों की अमृत वर्षा की साथ ही दोपहर 1 बजे माता की गोद भराई एवं शाम 7.30 बजे गर्भोत्सव की खुशियां भी मनाई।
आचार्य विशुद्ध सागर के साथ उनके संघ का सान्निध्य भी हो रहा प्राप्त
सुमतिधाम पर आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में चर्याशिरोमणि श्री 108 विशुद्धसागर महाराज अपने साधु संघ के साथ इस दिव्य आयोजन में सान्निध्य प्रदान कर रहे हैं। आचार्यश्री के साथ श्रवण श्री 108 सुव्रत सागर, अनुत्तर सागर, सर्वार्थ सागर, साम्य सागर, संकल्प सागर, सौम्य सागर, सारस्वत सागर, सद्भाव सागर, संजयन्त सागर, यशोधर सागर, निग्र्रन्त सागर, निर्मोह सागर, निसंग सागर, निर्विकल्प सागर, जयन्द्र सागर, जितेंद्र सागर, जयंत सागर, सुभग सागर, सिद्धार्थ सागर, सहर्ष सागर, सत्यार्थ सागर, सार्थ सागर, सार्थक सागर, समकित सागर, सम्यक सागर, श्रेय सागर का सन्निध्य भी जैन धर्मालुजनों को मिल रहा है।
लेजर लाईट शो देखने उमड़ा समाज
सुमतिधाम पर सुबह से शाम तक धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम का दौर जारी है। दोपहर के सत्र में भजन गायक जहां आयोजन में समा बांधे हुए हैं तो वहीं रात को लेजर लाईट शो को देखने बड़ी संख्या में समाज बंधु सुमतिधाम पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन अलग-अलग कार्यक्रमों में अद्भूत प्रक्रियाओं के माध्यम से लेजर शो, ड्रोन शो, प्रोजेक्ट मेपिंग आदि नई तकनीकों के माध्यम से जैन धर्म की विशेषताओं तीर्थ दर्शन आदि को प्रस्तुत किया जा रहा है। वहीं मंच पर 1800 वर्ग फीट का एलईडी लगाया गया है। वहीं 20 हजार लोगों बैठ सके ऐसे वातानुकूलित पांडाल बनाया गया है। पंचकल्याणक महोत्सव में 4 हजार वर्ग फीट एलईडी का प्रयोग किया गया है।