शिव ही शक्ति, शिव ही भक्ति, शिव ही प्रेम
गीता भवन में नाथूराम अग्रवाल स्मृति में सात दिवसीय शिव पुराण कथा का शुभारंभ

इंदौर, । शिव ही शक्ति है… शिव ही भक्ति है और शिव ही प्रेम है। शरीर से शिव तत्व बाहर होते ही शरीर शव हो जाता है। यदि अपने मन मंदिर में हम शिव का वास बनाकर रखें, कभी किसी के साथ विश्वासघात नहीं करें, क्योंकि विश्वास में ही ईश्वर का वास है तो कभी भी आपका अनर्थ नहीं हो सकता। याद रखें कि पाप और पुण्य कभी भी छुपाकर नहीं रखे जा सकते। आपकी आंखें ही आपके कर्मों का लेखा-जोखा प्रदर्शित कर देती हैं। कर्म के प्रभाव से राजा हो या रंक कोई भी नहीं बच सकता, लेकिन शिव की भक्ति सारे बंधनों से मुक्त बना देती है।
व्यासपीठ का पूजन श्रीमती शांति देवी अग्रवाल, श्रीराम -वीणा अग्रवाल, अशोक-अरुण अग्रवाल, ओम-सरोज अग्रवाल, पवन-रश्मि अग्रवाल आदि ने किया। इस अवसर समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, सुभाष बजरंग, अरुण आष्टावाले, सीए एस.एन. गोयल, अजय आलूवाले, मनोज सहगल, प्रमोद बिंदल, राजेश मित्तल लाला, कैलाश नारायण बंसल आदि ने विद्वान वक्ता की ।
विद्वान वक्ता ने कहा कि मोक्ष का मतलब ही बंधनों से मुक्ति है। हमारे कर्म के प्रभाव एवं संचित फलों की अवधि तक ही हमारी भक्ति प्रभावी होती है। शिव और पार्वती के बीच आपसी संवादों से मानव मूल्यों के प्रति जागृति का संदेश भी मिलता है। आचार्यश्री ने ऐसे अनेक उदाहरण भी प्रस्तुत किए। गीता भवन परिसर में कलश यात्रा के साथ इस दिव्य अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। स्व. नाथूराम अग्रवाल ऐरन की स्मृति में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शांतिदेवी अग्रवाल ने इस कथा का संकल्प किया है।