हमारे बुजुर्गों ने मंदिर टूटते देखे, हम सौभाग्यशालीहैं कि हम नव्य और भव्य मंदिर बनते हुए देखेंगे

हमारे बुजुर्गों ने मंदिर टूटते देखे, हम सौभाग्यशाली
हैं कि हम नव्य और भव्य मंदिर बनते हुए देखेंगे
बर्फानी धाम के पीछे गणेश नगर में चल रहे नौ दिवसीय रामकथा अनुष्ठान में महामंडलेश्वर दादू महाराज के आशीर्वचन
इंदौर, । हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम उन क्षणों के साक्षी बनने जा रहे हैं, जिनमें हम रामलला के भव्य मंदिर और उसमें प्रबु की प्राण प्रतिष्ठा के गौरवशाली इतिहास को अपनी आंखों से देखेंगे। हमारे पहले की पीढ़ियों ने मंदिरों को टूटते और ध्वस्त होते हुए देखा है, लेकिन यह हमारे सौभाग्य का ही प्रमाण है कि हम एक नए इतिहास की पुनर्स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। प्रभु राम जन जन के तन-मन में रचे-बसे ऐसे प्रभु हैं, जिनके स्मरण मात्र से ही हमारा मन प्रफुल्लित हो उठता है। सुबह हो या शाम, बोलो राम… राम … राम।
ये दिव्य विचार हैं गजासीन शनिधाम के महामंडलेश्वर स्वामी दादू महाराज के जो उन्होंने बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर के शिव-हनुमान मंदिर की साक्षी में चल रही रामकथा के समापन प्रसंग पर मानस मर्मज्ञ आचार्य डॉ. सुरेश्वरदास रामजी महाराज के बिदाई समारोह में सानिध्य प्रदान करते हुए व्यक्त किए। प्रारंभ में तुलसीराम-सविता रघुवंशी, रेवतसिंह रघुवंशी, कुं. सचिनसिंह राजपूत, नाना यादव, रमनसिंह रघुवंशी, जयसिंह रघुवंशी, परक जैन, तनुज गोयल आदि ने दादू महाराज, व्यासपीठ एवं रामचरित मानस का पूजन किया। कथा समापन प्रसंग पर विद्वान आचार्यों के निर्देशन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने नशा मुक्ति, जूठन नहीं छोड़ने और शहर में यातायात व्यवस्था का पालन करने की शपथ भी ली। समापन पर आयोजित यज्ञ-हवन में दादू महाराज सहित सैकड़ों भक्तों ने शामिल होकर घर-घर में सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
महामंडलेश्वर दादू महाराज ने कहा कि लोकहित ही सर्वोपरि है और यही राम राज्य की आधारशिला भी है। प्रभु राम ने रावण के साथ भी शत्रुता का व्यवहार नहीं किया। मानस के प्रत्येक कांड और प्रसंग को देखें तो निश्चित ही यही सीख मिलती है कि प्रेम, करूणा और स्नेह की रसधारा उन लोगों तक जरूर पहुंचना चाहिए, जो इसके वास्तविक हकदार हैं। राम राज्य का मुख्य प्रयोजन भी यही है।