आरडीएसएस के तहत चार नए ग्रिडों से बिजली आपूर्ति

- बारह कैपेसिटर बैंक से भी विद्युत व्यवस्था में सुधा
इंदौर। केंद्र शासन की रिवेम्पड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत इंदौर के ग्रामीण सर्कल के अधीन चार ग्रिडों से बिजली आपूर्ति प्रारंभ हो गई है। इन नए ग्रिडों से करीब पचास हजार जनता के लिए पहले की तुलना में उच्च गुणवत्ता से बिजली प्रदाय की जा रही हैं।
मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर ग्रामीण वृत्त के अधीक्षण अभियंता डॉ. डीएन शर्मा ने बताया कि प्रबंध निदेशक श्री अमित तोमर के आदेशानुसार आरडीएसएस के तहत समय पर कार्य प्रारंभ कर 33/11 केवी के ग्रिडों का निर्माण अत्याधुनिक तरीके से किया गया। आरडीएसएस के तहत देश का पहला ग्रिड सांवेर रोड के ईमलीखेड़ा में तैयार हुआ था। इसी के साथ बड़ियाकीमा, महू क्षेत्र के महेश्वर रोड, गुलझेरा में भी ग्रिड तैयार कर आपूर्ति सुनिश्चित की जा चुकी है। डॉ. शर्मा ने बताया कि आरडीएसएस के तहत वृत्त के अधीन 12 ग्रिडों पर कैपिसिटर बैंकों की स्थापना की गई है। जो वोल्टेज ठीक रखने के अलावा लाइन लॉस में व्यापक रूप से कमी लाने के लिए कारगर साबित हो रहे है। नए ग्रिड और कैपिसिटर बैंक से आम उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली मिल रही है, साथ ही लॉस कम होने पर बिजली कंपनी की आर्थिक सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा हैं। दोनों ही तरह के कार्यों पर करीब नौ करोड़ रूपए का व्यय आया है।
मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर ग्रामीण वृत्त के अधीक्षण अभियंता डॉ. डीएन शर्मा ने बताया कि प्रबंध निदेशक श्री अमित तोमर के आदेशानुसार आरडीएसएस के तहत समय पर कार्य प्रारंभ कर 33/11 केवी के ग्रिडों का निर्माण अत्याधुनिक तरीके से किया गया। आरडीएसएस के तहत देश का पहला ग्रिड सांवेर रोड के ईमलीखेड़ा में तैयार हुआ था। इसी के साथ बड़ियाकीमा, महू क्षेत्र के महेश्वर रोड, गुलझेरा में भी ग्रिड तैयार कर आपूर्ति सुनिश्चित की जा चुकी है। डॉ. शर्मा ने बताया कि आरडीएसएस के तहत वृत्त के अधीन 12 ग्रिडों पर कैपिसिटर बैंकों की स्थापना की गई है। जो वोल्टेज ठीक रखने के अलावा लाइन लॉस में व्यापक रूप से कमी लाने के लिए कारगर साबित हो रहे है। नए ग्रिड और कैपिसिटर बैंक से आम उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली मिल रही है, साथ ही लॉस कम होने पर बिजली कंपनी की आर्थिक सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा हैं। दोनों ही तरह के कार्यों पर करीब नौ करोड़ रूपए का व्यय आया है।