भगवान सांवरिया सेठ 56 करोड़ का मायरा लेकर पहुंचे नानीबाई के घर,
जयघोष से गूंजा बाबाश्री परिसर
इंदौर, । छोटा बांगड़दा रोड स्थित बाबाश्री परिसर में चल रही नानीबाई के मायरे की कथा में आज जैसे ही मायरे का प्रसंग आया, भगवान सांवरिया सेठ स्वयं एक रथ में मायरे का 56 करोड़ का सामान लेकर गाजे-बाजों के साथ कथास्थल पहुंचे, वहां मौजूद भक्तों का सैलाब आल्हादित हो उठा। हर कोई नानी बाई और नरसी मेहता के प्रति भगवान की करुणा और कृपा का भावपूर्ण विवरण सुन कर भावुक हो उठा। अनेक आंखे सजल हो उठी और बाबाश्री परिसर भगवान के जयघोष से गूंज उठा।
बाबाश्री पारमार्थिक ट्रस्ट के तत्वावधान में गत 18 अगस्त से वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्कारानंद महाराज के सान्निध्य में साध्वी कृष्णानंद के श्रीमुख से नानीबाई के मायरे की कथा का दिव्य आयोजन चल रहा था। आज शाम इस कथा में मायरे का मुख्य प्रसंग एवं उत्सव धूम धाम से मनाया गया। इसके लिए कथास्थल को विशेष रूप से सजाया गया था। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, जगदीश बाबाश्री, श्याम अग्रवाल , गणेश गोयल सहित अनेक श्रध्दालुओं ने व्यास पीठ का पूजन किया। मायरे में भगवान ने नानीबाई के ससुराल वालों की मांग के अनुरूप स्वर्ण शिलाएं, पीपल के पत्तो के बराबर सोने के सिक्के, एक करोड़ रुपये नगद एवं चौकीदार के धनुष के तीर पर स्वर्ण मंडित अस्त्र सहित अनेक उपहार भेंट किए। पूरे गांव वालों के लिए स्वादिष्ट व्यंजनों की रसोई भी मायरे में शामिल थी। इस जीवंत उत्सव को देखकर सैकड़ों महिलाएं भावविभोर हो उठीं।
साध्वी कृष्णानंद ने इस मौके पर कहा कि भक्ति निश्छल हो तो भगवान कृपा की वर्षा करने में न तो कंजूसी करते हैं, न ही देरी। भगवान को सब कुछ मंजूर है पर भक्त के दुख और आंसू नहीं। भगवान केवल पत्थर की मूर्ति बनकर मंदिर में नहीं विराजते, वे तो हम सबके अंतर्मन में भी प्रतिष्ठापित रहते हैं। नानीबाई भारतीय बेटी, बहू और मां का प्रतिनिधित्व करती है। बेटी और बहू के बीच का अंतर मिटाए बिना समाज की विकृतियां दूर नहीं हो सकती। प्रत्येक बहू किसी न किसी की बेटी भी है, यह नहीं भूलना चाहिए।
महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने अपने आशीर्वचन में सबके मंगल की भावना व्यक्त करते हुए बाबाश्री परिवार के प्रमुख जगदीश गोयल एवं परिजनों का स्वागत किया। उन्होंने कहा-भक्तों पर किसी तरह की आंच नहीं आने देना ही भगवान का पहला धर्म है। अखंड धाम आश्रम के महामंडलेश्वर डा स्वामी चेतन स्वरुप भी मौजूद थे ।