विविध

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

रविंद्र नाट्यगृह में हुआ 'गीता और गलवान' मंचन

इंदौर। जून 2020 में हुई भारत और चीन की हिंसक झड़प और भारतीय सेना की जाबांजी की कहानी ऑपरेशन स्नो लेपर्ड अब तक लोगों को याद है। जहाँ पडोसी का घिनौना चेहरा दुनिया के सामने आया कि कैसे समझौते का उल्लंघन करते हुए चीनी सैनिकों ने छल-कपट निहत्थे भारतीय सैनिकों पर वार किया था।

शनिवार को प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ संदीप जुल्का के मार्गदर्शन में रवींद्र नाट्यगृह में इसी पर आधारित एक नाटक ‘गीता और गलवान’ का मंचन हुआ, जहाँ झड़प में जान न्यौछावर करने वाले शहीद कर्नल संतोष बाबू, सिपाही गुरतेज सिंह और नायक दीपक सिंह की कहानी दिखाई गई। नाट्य कार्यक्रम का मुख्य सन्देश भारतीय सैनिकों की वीरगाथा और और उसमें श्रीमद्भागतगीता का सन्देश शामिल था।

इन तीन योद्धाओं ने गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में अपने प्राणों की आहुति दे दी। यहाँ 16 बिहार रेजिमेंट को तैनात थी, दुश्मन के सामने एक निगरानी चौकी बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई थी। समझौते के बाद भी चीन ने भारत पर हमला किया तो 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू ने इसका विरोध किया गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी कर्नल बाबू ने दुश्मन के हमले को रोकने के लिए अपनी आखिरी सांस तक दुश्मन के हमले का मुहतोड़ जबाव दिया।

शहीद सिपाही गुरतेज सिंह जो 3 पंजाब की प्लाटून का हिस्सा थे और 15 जून को चीनी सैनिकों से भिड़े थे। जिस वक्त उनकी चीनी सैनिकों से भिड़ंत हुई थी, उस वक्त उनके पास अपनी कृपाण के अलावा भी कुछ नहीं था और उन्होंने उससे ही चीनी सैनिकों को जितना नुकसान हो सकता था, उतना नुकसान पहुंचाया।

गलवान हिंसा के दौरान मध्यप्रदेश के रीवा के नायक दीपक सिंह को बिहार रेजिमेंट की 16वीं बटालियन में बटालियन नर्सिंग सहायक के रूप में तैनात किया गया था. हमले में घायल होने के बाद भी उन्होंने न केवल झड़प में हताहत हुए भारतीय सैनिकों का बल्कि चीनी सैनिकों का भी इलाज किया, लेकिन चीनी सैनिक लगातार उनपर हमला करते रहे और उन्हें घायल करते रहे।

इस नाट्य कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ संदीप जुल्का ने बताया ” कारगिल और उसके बाद गलवान जैसी घटनाओं ने हमेशा ही भारतीय सेना पर हमारे भरोसे को दृढ़ किया है कि हम सुरक्षित हाथों में हैं। गीता और गलवान न केवल वीरभूमि में लड़ते योद्धाओं की कहानी है बल्कि मनोभूमि में लड़े जाने वाले युद्ध को भी दर्शाता है, कि किस तरह एक सैनिक श्रीमद्भागवत गीता से माध्यम से खुद को अपने कर्म करने के लिए खुद को तैयार करता है।

नाटक के दौरान कुछ ऐसे क्षण भी आए जब लोगों में जोश भरा था तो कुछ पल ऐसे भी आए जब लोगों की आंखों में आंसू थे।”

श्री जीतू खिलनानी के निर्देशन में हुए इस नाटक में रोमा उपाध्याय, अर्चिता जौहरी, तृषा साहनी, बिलाल खान, विक्की यादव मुख्य किरदार में थे।

कार्यक्रम की शुरुआत इस्कॉन संप्रदाय के प्रभु जी कृष्णअर्चनदास जी ने गीता के चुनिंदा श्लोकों के पाठ से हुई।

मध्यांतर में छोटी सी बच्ची सुश्री प्रिशा पेपरीवाल ने भगत सिंह का किरदार निभाते हुए जब उनकी कविता इंकलाब पढ़ी लोग भावुक हो उठे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!