जीवन में जैसा भाव होगा वैसे भगवान दर्शन देंगे : स्वामी श्री वेंकटेशाचार्य महाराज
अधिक मास के अवसर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में गोवर्धन पूजा उत्सव धूमधाम से मना, भजनों पर झूमे भक्त
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट
इंदौर। जीवन में जैसा भाव होगा वैसे भगवान दर्शन देंगे इसलिए जीवन में अच्छा भाव रखे, गौमाता की सेवा प्रतिदिन करना चाहिए, हर व्यक्ति को अपने अपने घरों में गोमाता ओं को पालना चाहिए,भगवान व्यक्ति के कर्मों से ही प्रसन्न होते है, इसलिए जीवन में हमेशा सत्कर्म ही करना चाहिए, जागरूक बनना जरुरी है, एकादशी सभी भक्तो को करना चाहिए,हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन करे, चौपाईयो को जरूर समझना चाहिए, हनुमानजी का स्मरण करने से मनुष्य का कल्याण अवश्य होता है, भगवान के आश्रित रहे,हर व्यक्ति को एक भाव में स्थिर रहना चाहिए, प्रकृति का संरक्षण करना बहुत ही आवश्यक है, हर व्यक्ति को पेड़ पौधे रोपना चाहिए,जीवन में जल ही जीवन है इसलिए जल बचाना जरूरी है,भारतीय परंपराओं को समझना आवश्यक है,जीवन में हर व्यक्ति को रिश्तों को अच्छे तरह से निभाना चाहिए,हर स्त्री को अपने पति की सेवा अवश्य करना चाहिए, पति पत्नी दोनो को एक दूसरे का आदर सम्मान जरूर करना चाहिए, गृहस्थी चलाने के लिए समझदारी होना बहुत जरूरी है,समाज के बीच हर व्यक्ति को रहना चाहिए, नीति नियमो का पालन करे, यह बाते श्रीमज्जगदगुरु रामानुजाचार्य श्रीवत्सपीठाधीश्वर श्री श्री 108 स्वामी श्री वेंकटेशाचार्य महाराज ने अधिक मास के अवसर पर समाजसेवी स्व.श्री राजकुमार माहेश्वरी की स्मृति में छत्रीबाग स्थित पावन सिद्ध धाम श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कही।
आयोजन प्रमुख मदन माहेश्वरी, निर्मला राजकुमार माहेश्वरी ने बताया कि अधिक मास के अवसर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में छटवे दिन श्री कृष्ण रुकमणी विवाह उत्सव मनाया गया, सैकड़ों महिलाओ ने भजनों पर नृत्य किया,कथा में सैकड़ो भक्तो का जनसैलाब उमड़ा,कथा में महाराज ने कृष्ण रुकमणी विवाह प्रसंग सहित विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया, सैकड़ों भक्तो ने राधे राधे के जयकारे लगाए, ऊत्सव धूमधाम से मनाया गया मंच को गुब्बारों और फूलो से आकर्षक सजाया गया, मंच पर भगवान कृष्ण और रुकमणी के मनोहारी दर्शन हुए।
भागवत कथा का समापन 24 जुलाई को होगा जिसमे अंतिम दिन श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र होगा।कथा स्वामी श्री विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज के सानिध्य में की जा रही है।