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एकदिवसीय वर्कशॉप में मोटापे से बचाव और नियंत्रण रखने के प्रेक्टिकल तरीक़े बताए

इंदौर, ।: इंदौर के रेसीडेंसी क्लब में डॉ संदीप जुल्का ने युवाओं में तेजी से बढ़ रही गंभीर समस्या ‘मोटापे’ पर एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया। खानपान व शरीरीरिक शून्यता के साथ हार्मोन, अनुवांशिकता से प्रभावित होने वाली इस अनियमितता के चौतरफा उपचार के लिए एंडोक्राईनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जुल्का के साथ युवतियों का मागर्दर्शन करने के लिए साइकोलॉजिस्ट डॉ रोहिता सतीश, एक्सरसाइज स्पेशलिस्ट मुक्ता सिंह, डायटीशियन मिस नायमा खान मौजूद रहीं।
डॉ. जुल्का ने बताया कि “एकल परिवार में मोटापे की समस्या औसतन ज्यादा बढ़ रही है। कई बार हम हमारे आसपास ऐसे लोगों को देखते हैं जो ज्यादा खाते हैं, यह हार्मोन से जुड़ी समस्या हो सकती है कुछ हार्मोन ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को ज्यादा खाने के लिए मजबूर करते हैं, इसलिए इसका समय पर उपचार जरुरी है, गृहणियों में ही नहीं कामकाजी महिलाओं में भी मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

मोटापे की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि भारत की जीडीपी का कुल एक प्रतिशत सिर्फ मोटापे के उपचार व रोकथाम पर खर्च होता है, इसलिए इसको ख़त्म करना न केवल स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक पहलू से भी आवश्यक है।”

एक्सरसाइज स्पेशलिस्ट मुक्ता सिंह ने महिलाओं को उनकी उम्र, व्यवसाय और जीवनशैली के अनुसार आसान और कारगर शारीरिक व्यायाम बताए जिन्हे वे कहीं भी कभी भी कर सकती हैं और स्वस्थ रह सकती हैं। वर्कशॉप में आई युवतियों ने मुक्ता से व्यायाम से जुड़े अनेक सवाल पूछे जैसे हमें कब कितनी कैसे कसरत करनी चाहिए, जिसके सटीक और सरल उत्तर एक्सपर्ट द्वारा दिए गए, साथ ही उन्होंने वर्कशॉप में ही कुछ कसरत बताई जिन्हे कुर्सी पर बैठे बैठे भी किया जा सकता है।

इस अवसर पर साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर रोहिता सतीश ने बताया कि मोटापा न केवल फिजिकल प्रॉब्लम है बल्कि साइक्लोजिकल प्रॉब्लम भी है। जब तक हम अपने मन को और विचारों को संयमित नहीं करेंगे तब तक हम चाहे जितना भी एक्सरसाइज करें उसका हमें उचित लाभ नहीं मिल पाएगा। मोटापे पर कंट्रोल करने के लिए हमें फिजिकल एक्सरसाइज के साथ-साथ मेंटल स्ट्रेंथ पर भी काम करना चाहिए l हम सब समझ कर भी गलती करते है एक्सरसाइज तो करते हैं पर अपने मन को कंट्रोल नहीं कर पाते, स्क्रीन टाइम भी हमारा बढ़ता ही जा रहा है खाना खाते समय अधिकतर मोबाइल टीवी देखते है जिसमे हमारा हमारे विचारों और मन पर कंट्रोल नही होता और अधिक खाना हो जाता है। हमारा स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोच रहे हैं या कर रहे हैं,
इसके साथ डॉ रोहिता ने माइंडफुल ईटिंग के बारे में बताया कि हमें हमेशा खाना खाते समय सचेत होना चाहिए, टीवी या मोबाइल के सामने बैठकर खाना खाने वाले लोग यह नहीं समझ पाते कि हम कितना क्या खा रहे हैं। डॉ रोहिता ने आगे कहा हम स्वच्छता में तो नंबर वन हैं ही अब हमें स्वास्थ्य में भी नंबर एक बनना है. हमें मोटापे से डरना नहीं, इससे लड़ना है।

डायटीशियन नाइमा खान कहती हैं “व्यक्ति को उसके बॉडी मास के हिसाब से भोजन करना चाहिए, जहाँ पूरे विश्व में एक स्वस्थ व्यक्ति का बॉडी मास 30 या उससे कम माना जाता है, भारतीयों के लिए 25 से अधिक बॉडी मास वालों को ही मोटा घोषित कर दिया जाता है, क्योंकि भारत में कम बॉडी मास पर भी बीमारी अधिक होती है। इसलिए हमें हमारे खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।”
इसके लिए नाइमा ने एक डाइट गैलेरी भी लगाई जहाँ उन्होंने खाने पर उनमें मौजूद कैलोरी को दर्शाया।

यह पहली ऐसी वर्कशॉप थी जिसमें डॉक्टर, एक्सरसाइज स्पेशलिस्ट और डायटीशियन ने एक साथ आकर युवाओं की बेहतरी का प्रयास किया, मौजूद लोगों द्वारा इसे खूब सराहा गया, कई लोगों ने टीम के साथ मिलकर प्रण लिया कि वे स्वस्थ रहेंगे और एक नया जीवन शुरू करेंगें।

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