विविध
अहंकार ऐसा शत्रु, जो कहीं से भी घुसपैठकर हमें पतन की ओर ले जाता है
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:——
इंदौर, ।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के, जो उन्होंने गुरूवार को गीता भवन सत्संग सभागृह में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में व्यक्त किए। कथा में आज भगवान की बाल लीलाओं के साथ गोवर्धन पूजा का उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। भगवान को गोवर्धन पर्वत की झांकी के साथ छप्पन भोग समर्पित किए गए। व्यासपीठ का पूजन समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, विष्णु बिंदल आदि ने किया। संध्या को आरती में किशोर गोयल, राजेश बंसल, गोपाल नेमानी, पुरुषोत्तम गोयल, सत्येंद्र जोशी, सुनील गोयल ने वंशिका -यश गोयल, निधि -आंनद गोयल के साथ भाग लिया।
स्वामी भास्करानंद जी ने कहा कि वृंदावन, काशी और चारों धाम की यात्रा कर लेने पर भी आपको भगवान नहीं मिलें, क्योंकि आपने अब तक बाहर की ही यात्रा की है, अंदर की नहीं। भगवान यदि इन तीर्थों में मिलना होते तो सबसे पहले उस पुजारी को मिलते, जो चौबीस घंटे उनके पास रहता है। भगवान कहीं बाहर नहीं, आनंद स्वरूप में हमारे अंदर ही है। विडंबना यह है कि हम अब तक बाहर ही झांकते रहे हैं, अंदर का हमें कुछ नहीं दिखाई देता। संसार की वस्तुएं थोड़ी देर के लिए आनंद दे सकती हैं, किन्तु परमात्मा का आनंद स्थायी आनंद होता है। परमात्मा तो हर क्षण आने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम या तो उन्हें बुलाते नहीं या हमारे अंदर उनको बुलाने की पात्रता ही नहीं है।