जीवंत हो उठा श्रीमंत यशवंतराव होलकर का इतिहास, कनाडिय़ा चौराहे पर किया प्रतिमा का अनावरण
जीवंत हो उठा श्रीमंत यशवंतराव होलकर का इतिहास, कनाडिय़ा चौराहे पर किया प्रतिमा का अनावरण

मूर्तिकार, लेखक, समाजसेवी, नाट्य विद्या के साथ ही विशिष्ट अतिथियों का किया सम्मान
इंदौर।कनाडिय़ा चौराहे पर श्रीमंत यशवंतराव होलकर (प्रथम) की प्रतिमा का अनावरण की जैसे ही घोषणा की गई वहां उपस्थित धनगर समाज सहित अनेक संगठनों के प्रतिनिधि ने श्रीमंत के जयघोष से पूरा आसमान गुंजायमान कर दिया। साधु-संतों के सान्निध्य में कनाडिय़ा चौराहे पर श्रीमंत की प्रतिमा का अनावरण किया गया। जिसके साक्षी आम से लेकर खास रहे। कनाडिय़ा चौराहे पर जहां एक ओर जनप्रतिनिधि होलकरों के इतिहास के साथ ही श्रीमंत यशवंतराव होलकर के पराक्रम व वीरता का बखान कर रहे थे तो वहीं दुसरी ओर युवा व मातृशक्तियां अश्वरूढ़ ब्रांज से निर्मित श्रीमंत की प्रतिमा को अपने मोबाइल में कैद करते हुए नजर आए। आतिशबाजी के साथ ही धनगर समाज ने कनाडिय़ा चौराहे पर श्रीमंत की प्रतिमा लगाने पर नगर निगम व जनप्रतिनिधियों का आभार भी व्यक्त किया।
प्रतिमा अनावरण से पूर्व निकली शौर्ययात्रा- शौर्ययात्रा एवं प्रतिमा स्थापना समिति संयोजक सुधीर देडग़े, स्वप्निल राजे होलकर, अमरजीत राजे बारगल एवं सहसंयोजक रविन्द्र भुसारी ने बताया कि कनाडिय़ा चौराहे पर शाम 7 बजे होने वाले प्रतिमा अनावरण से पूर्व ऊषा नगर स्थित महाराजा यशवंतराव होलकर स्कूल से भव्य शौर्ययात्रा निकाली गई। शौर्ययात्रा में होलकर राजवंश के 14 गौरवशाली शासकों के प्रतीक चिन्ह भी यात्रा में चर्चा का विषय रहा। यात्रा में श्रीमंत यशवंतराव होलकर के साथ ही होलकर राजवंश के 14 राजाओं के इतिहास के साथ ही उनका शौर्य, पराक्रम व वीरता का बखान भी किया गया। शौर्ययात्रा में रथ पर 13 फीट की फाईबर से बनी श्रीमंत की प्रतिकात्मक प्रतिमा संपूर्ण यात्रा के मार्ग में आकर्षण का केंद्र रही। ऊषा नगर से कनाडिय़ा चौराहे तक की 13 किलोमीटर की इस शौर्ययात्रा में 70 से अधिक विभिन्न मंचों से यात्रा का स्वागत किया गया। इसी के साथ 250 टू-व्हीलर एवं 80 कारों के काफिले के साथ जैसे ही शौर्ययात्रा निकली तो आने-जाने वाले राहगिरों ने यह दृश्य अपने मोबाइलों में कैद कर लिए। श्रीमंत यशवंतराव होलकर की शौर्ययात्रा में बैंड़-बाजे, घोड़े-बग्घी व डीजे का रथ था जो संपूर्ण मार्ग में श्रीमंत की शौर्यगाथा को सुनाते हुए मार्ग में चल रहा था। यात्रा में जहां एक ओर महिलाएं केशरिया परिधन में शामिल हुई तो वहीं पुरूष भी श्वेत वस्त्र व महाराष्ट्रीय टोपी पहन यात्रा में शामिल हुए। ऊषा नगर से प्रारंभ हुई शौर्ययात्रा रणजीत हनुमान मंदिर, महूनाका, छत्रीपुरा, मालगंज, जवाहर मार्ग, यशवंत निवास रोड़, पत्रकार कालोनी, सविंद नगर, बंगाली चौराहे होते हुए कनाडिय़ा चौराहे पूर पहुंची जहां इस शौर्ययात्रा का समापन हुआ।
कई राज्यों के प्रतिनिधि हुए शामिल- शौर्ययात्रा एवं प्रतिमा स्थापना समिति संयोजक सुधीर देडग़े, स्वप्निल राजे होलकर, अमरजीत राजे बारगल एवं सहसंयोजक रविन्द्र भुसारी ने बताया कि इन्दौर से पूणे एवं इन्दौर से कनाडिय़ा चौराहे तक निकलने वाली शौर्ययात्रा में हजारों आम से लेकर खास ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन्दौर में निकली शौर्ययात्रा में 5000 हजार से अधिक समाज बंधु शामिल हुए। इसी के साथ महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हैदराबाद, गुजरात, पूणे, वडौदरा, कर्नाटक, हल्दीघाटी के जनप्रतिनिधि भी इस यात्रा में शामिल हुए थे।
विभिन्न कलाकारों के साथ विशिष्ट अतिथियों का किया सम्मान- इन्दौर से पूणे तक के मार्ग में सहयोगियों का सम्मान समारोह भी ऊषा नगर स्थित यशवंतराव होलकर स्कूल में किया गया। कार्यक्रम में विपुल विवेक खटावकर (मूर्तिकार), एन.जी. काले (लेखक), नरेंद्र फणसे (समाजसेवी), सुनील मतकर (नाट्य विद्या) को शाल-श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया तो वहीं विशिष्ट अतिथियों का भी सम्मान हुआ। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथियों व जनप्रतिनिधियों ने होलकर राजवंश के साथ ही श्रीमंत यशवंतराव होलकर (प्रथम) के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमंत युवराज यशवंतराव होलकर (तृतीय), सांसद शंकर लालवानी, तुलसी सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, दादू महाराज, अण्णा महाराज सहित बड़ी संख्या में धनगर समाज सहित अन्य सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोग शामिल हुए थे।