भाजपाई सत्ता की सर परस्ती, देश की सांस्कृतिक राजधानी मप्र में अपराधियों का राज
मध्यप्रदेश में अपराध की यह परिस्थितियां निर्मित हो गई

इंदौर ।देश के गृह मंत्री अमित शाह मप्र के दौरे पर हैं। तब उन्हें इस बात का जवाब देना चाहिए कि उन्हीं के गृह मंत्रालय की रिपोर्ट इस बात की गवाही दे रही है कि प्रदेश में भाजपा सरकार की सरपरस्ती में मप्र जो देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी के रूप में पहचाना जाता था, उस पर अपराधियों का राज कैसे स्थापित हो गया।
मध्यप्रदेश में अपराध की यह परिस्थितियां निर्मित हो गई हैं कि हर श्रेणी का अपराध चाहे वह हत्या हो, हत्या का प्रयास हो, बलात्कार हो, अपहरण हो, डकैती हो अर्थात सभी प्रकार के जघन्य अपराधों में मप्र शीर्ष की श्रेणी में आने लगा है। मप्र में मासूमों को अगवा कर बलात्कार किया जा रहा है, उन्हें पत्थरों से कुचला जा रहा है। सरेराह हत्याओं का दौर जारी है। माफिया सरकारी अधिकारियों पर भी प्राणघातक हमले कर रहे हैं। सरकार की सरपरस्ती में अपराधी मध्यप्रदेश का मान-मर्दन कर रहे हैं और मामा सरकार मौन साधे अपराधियों के साथ खड़ी हो गयी।
बीते 17 वर्षों के दौरान मामा राज में 38 हजार से अधिक हत्यायें, 60 हजार के लगभग बलात्कार, 67 हजार से अधिक अपहरण की घटनाएं हुई, 38 हजार से अधिक हत्या के प्रयास और 29 हजार से अधिक डकैतियां, 3 लाख 30 हजार से अधिक जघन्य अपराध तथा 39 लाख 87 हजार से अधिक आईपीसी के अपराध हुए हैं।
शिवराज सरकार के सत्ता में आने के बाद अपहरण की घटना जो 2003 में 584 होते थे, वह 2021 में बढ़कर 9511 प्रतिवर्ष होने लगे। जिसमें से 6139 महिलाएं हैं। इतना ही नहीं 5221 बच्चे प्रतिवर्ष गायब होने लगे। मप्र मंे 24480 महिला अपराध प्रतिवर्ष होने लगे।
मध्यप्रदेश में मामा जी के राज में हालात यह है कि जब वे सत्ता में आये थे तो महिलाओं के खिलाफ मात्र 7000 मुकदमे लंबित थे आज वह 2021 मंे बढ़कर 1,04,212 हो गये हैं और केस पेंडेंसी प्रतिशत 88.8 प्रतिशत है और कन्विक्शन का रेट मात्र 33.5 प्रतिशत है अर्थात 66 प्रतिशत के अधिक महिलाआंे पर अपराध करने वालों के साथ बेशर्म मामा सरकार खड़ी हो जाती है।
मध्यप्रदेश देश मंे 14052 अपराधों के साथ बाल अपराध में नंबर एक पर है और बाल अपराध का क्राईम रेट भी देश के सभी राज्यों में मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 44.4 प्रतिशत है।
मध्यप्रदेश देश के उन तीन शीर्ष राज्यों में है, जहां बच्चों की सर्वाधिक हत्या होती है। मप्र में प्रतिवर्ष 8224 बच्चों का अपहरण हो रहा है। बीते तीन साल मंे मप्र में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के साथ 19413 अपराध / एट्रासिटी की घटनाएं घटित हुई हैं, वहीं आदिवासी भाईयों के साथ 6950 अपराध/ एट्रासिटी की घटनाएं हुई हैं।
न्याय व्यवस्था का यह हाल है कि मध्यप्रदेश में साल के अंत में 929812 आईपीसी के क्राइम पेंडिंग थे और लंबित मुकद्मों का प्रतिशत 87.4 प्रतिशत है।
माफिया और अपराध मुक्त मप्र की बात-कमलनाथ सरकार के साथ:-
मप्र की कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही माफिया मुक्ति अभियान प्रारंभ किया, जिसमें 11 प्रकार के माफियाओं जैसे ड्रग माफिया, भू-माफिया, वसूली/ फिरौती माफिया, शराब माफिया, मिलावट माफिया, माईनिंग माफिया, चिटफंड माफिया, रेत माफियाओं को नेस्तनाबूत कर अपराध मुक्त मप्र की ओर कदम बढ़ाया। कमलनाथ सरकार के इस कदम से एक ही वर्ष में हत्याआंे मंे 3.5 प्रतिशत की कमी आई, हत्या के प्रयासों में 3.93 प्रतिशत की कमी आई, डकैती में 20.37 प्रतिशत की कमी आई, महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों मंे 12.96 प्रतिशत की कमी आई। वहीं ड्रग्स माफियाआंे के खिलाफ व्यापक अभियान प्रारंभ किया गया। एक ही वर्ष मंे स्मैक, अफीम, गांजा, गांजा पौधा, अफीम पौधा, चरस, डोंडा चूरा एवं कैमिकल ड्रग्स के कुल 3270 प्रकरण दर्ज किये गये और 4051 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, 426 आरोपियों के पास से 11.71 किलोग्राम स्मैक पकड़ी गई, 134 आरोपियों के पास से 171 किलोग्राम अफीम पकड़ी गई, 2903 आरोपियों से 9310 किलोग्राम गांजा पकड़ा गया। वहीं 339 आरोपियों के पास से 34875 किलोग्राम डोंडा चूरा तथा 121 आरोपियों के पास से 113448 नग कैमिकल्स ड्रग्स पकड़े गये।
पत्रकार वार्ता में श्री सज्जन सिंह वर्मा के साथ प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम, राजेश चौकसे, अमन बजाज, सच सलूजा, देवेंद्र सिंह यादव भी उपस्थित थे।